लखनऊ: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा निर्धारित अगस्त 31 की समय सीमा समाप्त होने के कगार पर है, लेकिन अभी भी राज्य में चीनी मिलों ने गन्ना बकाया राशि नहीं चुकाया है।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, राज्य में मिलों पर अभी भी 2018-19 पेराई सत्र का 7,364.82 करोड़ रुपये बकाया है। यह उम्मीद की जारी है कि चीनी मिलें समयसीमा से पहले गन्ना बकाया चुकाने में विफल रहेगी और साथ ही वे आगामी पेराई सत्र के शुरू होने से पहले गन्ने का बकाया भुगतान नहीं कर पाएंगे।
33,047 करोड़ रुपये के कुल भुगतान में से, चीनी मिलों ने 2018-19 सत्र में अब तक 25,682.87 या 77 प्रतिशत करोड़ रुपये का भुगतान किया है। इस प्रकार, अभी तक 7,364.82 करोड़ रुपये या 23 प्रतिशत अभी भी बकाया हैं। कुल लंबित बकाया में से 95 प्रतिशत राशि का भुगतान निजी चीनी मिलों द्वारा किया जाना है।
उत्तर प्रदेश में कई चेतावनियों के बावजूद, चीनी मिलें बहुत धीमी गति से गन्ना बकाया चूका रही है। जिसके बाद योगी सरकार एक्शन मोड में आयी है और चीनी मिलों को 31 अगस्त से पहले बकाया चुकाने की चेतावनी दी है। आपको बता दे, राज्य के गन्ना आयुक्त, मनीष चौहान ने निजी मिलों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक की, जिसमें 31 अगस्त तक पूर्ण भुगतान सुनिश्चित करने के लिए सख्त निर्देश जारी किए गए थे। उन्हें जल्द से जल्द अपनी वार्षिक मरम्मत और रखरखाव पूरा करने का भी निर्देश दिया गया, ताकि मिलें आगामी चीनी सीजन के लिए समय पर परिचालन शुरू कर सके।
गन्ने की भुगतान में देरी को ध्यान में रखते हुए, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अधिकारियों को सख्त निर्देश दिया कि अगस्त तक सभी गन्ना किसानों का भुगतान किया जाना चाहिए। अगर मिलें भुगतान करने में विफल रहती है तो उनके खिलाफ सख्त कदम उठाये जा सकते है।
भारतीय चीनी उद्योग पिछले दो से तीन वर्षों से विभिन्न बाधाओं से जूझ रहा है, और इस क्षेत्र को संकट से बाहर लाने के लिए सरकार ने सॉफ्ट लोन योजना, न्यूनतम बिक्री मूल्य में बढ़ोतरी, निर्यात शुल्क में कटौती, आयात शुल्क में 100 प्रतिशत वृद्धि जैसे विभिन्न उपाय उठाये हैं। चीनी मिलों का दावा है कि पेराई सत्र 2017-2018 और 2018-2019 में अधिशेष चीनी उत्पादन और कम घरेलू चीनी की कीमतों के वजह से गन्ना बकाया भुगतान चुकाने में देरी हो रही है।
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