पुणे : चीनी मंडी
चीनी मिलों द्वारा किसानों को 14 दिनों के भीतर गन्ने के उचित एवं लाभकारी मूल्य (एफआरपी) का भुगतान करना जरूरी होता है, अगर मिलें 14 दिनों के भीतर भुगतान करने में विफल रहती है तो मिलों को बकाया रकम 15 प्रतिशत ब्याज समेत भुगतान करना अनिवार्य है। महाराष्ट्र के चीनी आयुक्त शेखर गायकवाड ने बकाया भुगतान में देरी करनेवाली मिलों को किसानों को ब्याज समेत भुगतान करने के निर्देश दिए है। पिछले पेराई सीजन में बहुत सारे चीनी मिल एफआरपी चुकाने में सक्षम नही थी।
नांदेड़ के किसान नेता और शुगर केन कंट्रोल बोर्ड के सदस्य प्रल्हाद इंगोले ने देर से भुगतान पर गन्ना भुगतान के साथ साथ ब्याज के लिए बॉम्बे उच्च न्यायालय के औरंगाबाद डिवीजन में जनहित याचिका दायर की थी। इंगोले की याचिका में 1966 के गन्ना नियंत्रण आदेश का हवाला दिया गया था, जिसमें कहा गया है कि, मिलों को गन्ना खरीद के 14 दिनों के भीतर किसान को एफआरपी भुगतान करना होगा। ऐसा करने में विफ़ल रहने वाली मिलों को उसके बाद 15 प्रतिशत की ब्याज भुगतान के साथ बकाया चुकाना होता है। समय पर भुगतान सुनिश्चित करने के लिए यह क़ानून लागू किया गया है।अदालत ने इंगोले की याचिका स्विकार कर ली और चीनी आयुक्त को कार्रवाई करने के निर्देश दिए थे। उसके बाद हुई सुनवाई में चीनी आयुक्त ने बकाया भुगतान में विफल रही चीनी मिलों को 15 प्रतिशत ब्याज के साथ एफआरपी भुगतान करने का निर्देश दिया था।
2018-2019 चीनी सीजन में बहुत चीनी मिल ने समय पर एफआरपी का भुगतान नही किया था। किसान युनियनों ने इसके खिलाफ तीव्र आंदोलन भी किया था। राज्य में अभी भी लगभग 398 करोड रूपये एफआरपी बकाया हैब्याज चुकाने के आदेश के बाद से चीनी मिलें परेशान है। काफी सारे चीनी मिलों ने कहा है की वे इस आदेश को अदालत में चुनौती देंगे।
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