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मुंबई : चीनीमंडी
महाराष्ट्र की चीनी मिलों ने बिजली खरीद समझौतों की तर्ज पर तेल विपणन कंपनियों (ओएमसी) के साथ इथेनॉल के लिए दीर्घकालिक खरीद समझौते सुनिश्चित करने के लिए नीती आयोग के हस्तक्षेप की मांग की है। चीनी उद्योग का मानना है की, चीनी मिलें ब्याज सबसिडी के मद्देनजर इथेनॉल के उत्पादन के लिए बड़ा पूंजी निवेश कर रही हैं, इसलिए कीमतों के मामले में उनके हितों की रक्षा की जानी चाहिए। को-जेनरेशन क्षेत्र में, चीनी मिलें 13 वर्षों के लिए दीर्घकालिक समझौतों पर हस्ताक्षर करती हैं। इसी की तर्ज पर मिलें ‘ओएमसी’ के साथ दीर्घकालिक खरीद समझौते चाहती हैं।
महाराष्ट्र राज्य सहकारी चीनी मिल महासंघ के प्रबंध निदेशक संजय खताल ने कहा की, मूल्य स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए, इथेनॉल मूल्य निर्धारण को कच्चे तेल की कीमतों से अलग रखना चाहिए। अगर कच्चे तेल में गिरावट होती है, तो भी सम्मिश्रण के लिए इथेनॉल की कीमत पर उसका कोई भी असर नही होना चाहिए।
नीती अयोग के सदस्य वी.के. सारस्वत ने कहा कि, अयोग इस पर गौर करेगा। वह पुणे में जैव ऊर्जा और बाजार की संभावनाओं पर एक दिवसीय बैठक के मौके पर बोल रहे थे।
बी-हैवी मोलासेस से उत्पादित इथेनॉल की कीमत 52.43 रुपये प्रति लीटर तक बढ़ गई थी, लेकिन सी-हैवी मोलासेस से उत्पादित इथेनॉल के लिए सरकार द्वारा उसे घटाकर 43.46 रुपये प्रति लीटर कर दिया गया था। सीधे कीमत गन्ने के रस से उत्पादित इथेनॉल के लिए 59 रूपये प्रति लीटर तय किया गया था। भारत की इथेनॉल क्षमता 300 करोड़ लीटर अनुमानित है।
2022 तक सरकार के 10% सम्मिश्रण के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए आवश्यक इथेनॉल 300 करोड़ लीटर है। चीनी मिलों को इसके लिए पर्याप्त निवेश करना होगा। देशभर में 114 मिलें अपनी क्षमताओं का विस्तार कर रही हैं, जिससे अगले 24 महीनों में 90 करोड़ लीटर तक इथेनॉल उत्पादन बढ़ेगा। एक और 100 करोड़ लीटर की क्षमता बनाने और बढ़ाने की जरूरत है। यह क्षमता बढ़ाने के लिए सर्कार द्वारा कोशिश जारी है।