मैसूरु : चीनी मंडी
कर्नाटक सरकार मंड्या और मैसूरु जिलों कि तीन राज्य-संचालित चीनी मिलों को पुनर्जीवित करने के प्रयास में जुटी है। सरकार कि इस पहल से गन्ना उत्पादकों को राहत मिली है, जो अब अपनी उपज निजी मिलों को, नही तो तमिलनाडु को भेजने के लिए मजबूर हैं। यह मिले बंद होने से दोनो जिलों के हजारों गन्ना किसान काफी परेशान थे, और बंद पडी मिले शुरू करने के लिए सरकार पर दबाव बना रहे थे। आखिरकार कर्नाटक सरकार ने बंद पडी तीनो ही मिलों को शुरू करने के लिए कोशिशे तेज कर दी है।
सरकार मांड्या और मैसूरु जिलों में तीन राज्य संचालित चीनी मिलों को पुनर्जीवित करने के लिए एक महीने के भीतर निविदाएं बुला सकती है।
गन्ना किसानों ने कहा कि, राज्य के कुछ गन्ने क्षेत्रों में कटाई में 14 महीने तक की देरी हुई है, जिससे उपज में 20-30 प्रतिशत की कमी आई। किसानों को इस मौसम में बंपर फसल मिली, लेकिन राज्य सरकार संचलित मिलें बंद होने से किसानों को परेशानी का सामना करना पड़ा है। मुख्यमंत्री बी.एस. येदियुरप्पा ने मायसुगर (मंड्या) के साथ साथ मैसूरु जिले कि पांडवपुर सहकारी चीनी मिल और श्रीराम चीनी मिल के निजीकरण को मंजूरी दी है। पिछले कुछ वर्षों में, राज्य सरकारों ने मायसुगर चीनी मिल को पुनर्जीवित करने के लिए 450 करोड़ रुपये की योजना बनाई, लेकिन तकनीकी मुद्दों के कारण बहुत कम सफलता मिली है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, उत्तर कर्नाटक के निरानी शुगर्स, तमिलनाडु की बन्नारी शुगर और एक पूर्व मुख्यमंत्री द्वारा समर्थित फर्म ने तीन मिलों कि कमान संभालने में रुचि दिखाई है। चीनी आयुक्त अकरम पाशा ने कहा कि, पांडवपुरा और श्रीराम मिल एक साल में काम करना शुरू कर देंगी, जबकि मायसुगर को पुर्नजीवित में कुछ समय लग सकता है, क्योंकि इसमें एक बड़े निवेश, मशीनरी के प्रतिस्थापन, बॉयलर के काम करने और क्रश क्षमता बढ़ाने की आवश्यकता है।
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