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नई दिल्ली : चीनी मंडी
अगले सीजन में भारत में चीनी उत्पादन 3 साल के निचले स्तर पर गिर जाएगा, क्योंकि पश्चिमी क्षेत्र के कुछ मुख्य क्षेत्रों में शुष्क मौसम है और कई इलाके सूखे की मार झेल रहे है। इसका सीधा असर गन्ना उत्पादन में दिखाई दे सकता है। राष्ट्रीय सहकारी संघ लिमिटेड के प्रबंध निदेशक प्रकाश नाइकनवरे ने कहा कि, इस वर्ष 31 अक्टूबर तक अनुमानित 31.5 मिलियन टन की जगह चीनी उत्पादन 30 मिलियन मीट्रिक टन तक कम हो सकता है। भारतीय चीनी मिल संघ के अनुसार 2017-18 में भारत का चीनी उत्पादन रिकॉर्ड 32.5 मिलियन टन उत्पादन हुआ था।
गन्ने की सिकुड़ती फसल संभावित रूप से विदेशी शिपमेंट में कटौती करेगी और वैश्विक कीमतों का समर्थन करेगी जो कि 2018 में 21 प्रतिशत तक गिर गई थी। महाराष्ट्र के कुछ हिस्सों में सूखे से गन्ना रोपण में कमी दिखाई दे रही है, रोपण की गति को देखते हुए, ऐसा लगता है कि गन्ने का क्षेत्र नीचे चला जाएगा। दक्षिणी राज्य कर्नाटक के कुछ क्षेत्र, देश का तीसरा सबसे बड़ा उत्पादक, भी सूखे से पीड़ित है। नाइकनवरे ने कहा कि, 5 मिलियन टन के सरकारी लक्ष्य की तुलना में 30 सितंबर को समाप्त होने वाले वर्ष में चीनी निर्यात कुल 2.5 मिलियन से 3 मिलियन टन हो सकता है। नाइकनवरे ने कहा कि, चीनी की न्यूनतम बिक्री मूल्य में वृद्धि से भी निर्यात धीमा होगा।
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