इस्लामाबाद : डॉन की रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान में चीनी की कीमतें बढ़कर 185 रुपये प्रति किलोग्राम हो गई है।चीनी की बढ़ती कीमतों को रोकने के लिए देश की आर्थिक समन्वय समिति (ईसीसी) ने संबंधित एजेंसियों से चीनी की जमाखोरी और तस्करी की जांच करने को कहा है।महंगाई की मार से आम आदमी काफी परेशान है।
डॉन की रिपोर्ट के अनुसार, बाजार के व्यापारियों ने दावा किया कि अनौपचारिक चैनलों के माध्यम से अफगानिस्तान में चीनी की तस्करी जारी है और इसके बाद बेरोकटोक जमाखोरी और अटकलें लगाई जा रही है।वित्त वर्ष 2013 के दौरान पाकिस्तान का चीनी निर्यात 215,751 टन रहा, जिससे वित्त वर्ष 2012 में शून्य निर्यात के मुकाबले 104 मिलियन अमेरिकी डॉलर प्राप्त हुआ। जुलाई के दौरान निर्यात 5,542 टन था, जिससे जुलाई 2022 के दौरान शून्य निर्यात की तुलना में 3.4 मिलियन अमेरिकी डॉलर की कमाई हुई।
पाकिस्तान सरकार ने पाकिस्तान शुगर मिल्स एसोसिएशन (पीएसएमए) के इस वचन के आधार पर जनवरी में 250,000 टन चीनी के निर्यात की अनुमति दी थी कि, वित्त वर्ष 2022 के स्टॉक के लिए दरें 85-90 रुपये प्रति किलोग्राम (एक्स-मिल) से ऊपर नहीं बढ़ेंगी। कराची होलसेलर्स ग्रॉसर्स एसोसिएशन (KWGA) के अध्यक्ष रऊफ इब्राहिम ने मांग की कि कार्यवाहक सरकार स्पष्ट करे कि उसके आदेश का पालन कब किया जाएगा क्योंकि 1 अगस्त से थोक चीनी की कीमतें 21 रुपये प्रति किलोग्राम बढ़ गई है।
उन्होंने कहा कि, निवेशकों और सट्टेबाजों द्वारा चीनी मिलों के स्टॉक और जमाखोरी की जांच के लिए कोई प्रयास नहीं किए जा रहे है। उन्होंने कहा, सुप्रीम कोर्ट को चीनी, गेहूं और चावल जैसी खाद्य वस्तुओं की बढ़ती कीमतों और उनकी जमाखोरी पर स्वत: संज्ञान लेना चाहिए। रऊफ ने कहा कि, अफगानिस्तान में चीनी की बड़े पैमाने पर तस्करी के कारण सरकार को राजस्व का भी नुकसान हो रहा है।