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मुंबई : चीनी मंडी
नेशनल शुगर फेडरेशन के अध्यक्ष प्रकाश नाइकनवरे ने कहा कि, देश के अधिकांश हिस्सों में सुखा, गन्ना फसल के लिए उचित मौसम की स्थिति की कमी और ‘अल नीनो’ के मंडराते हुए संकट के कारण आने वाले सीजन में गन्ना उत्पादन पिछले तीन वर्षों के सबसे निचले स्तर पर होगा।
पिछले तीन वर्षों में भारतीय चीनी उद्योग में चीनी उत्पादन 300 लाख मीट्रिक टन से अधिक है। वर्तमान में 2019-20 सीज़न का अध्ययन राष्ट्रीय स्तर पर अभी चल्र रहा है। नेशनल शुगर फेडरेशन ने अपने अध्ययन के प्राथमिक अनुमान को सामने लाया है। इस हिसाब से देश में गन्ने की खेती का रकबा कम नहीं हुआ है। हालांकि, बारिश की कमी के कारण, दो राज्यों में विशेष रूप से महाराष्ट्र और कर्नाटक में सूखे की स्थिति पैदा हो गई है।
महाराष्ट्र में, सूखाग्रस्त 260 तहसील में से अधिकांश तहसील गन्ना फसल ही लेते हैं। इन सभी जगह नमी की भी भारी कमी दिखाई दे रही है। इसके अलावा, महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश में गन्ना फसल पर सफेद ग्रब ने उपद्रव मूल्य दिखाया है। यह एक ऐसी स्थिति है जिसका चीनी के उत्पादन और रिकवरी पर बड़ा नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। विशेष रूप से महाराष्ट्र मे गन्ना रोपण खेती पर भी बड़ा प्रभाव होने की संभावना है।
…क्या ‘अल नीनो‘ का प्रभाव होगा?
नाइकनवरे ने कहा, पिछले दो सत्रों में, वातावरण में अल नीनो का प्रभाव मानसून के लिए अच्छा था। दुनिया के मौसम विशेषज्ञों का मानना है कि, यह प्रभाव इस मौसम में समाप्त हो जायेगा। अब अल नीनो मानसून की स्थिती को बिगाडनेवाले फैक्टर के रूप में जाना जाता है। वैज्ञानिकों का मानना है कि, अल नीनो का प्रभाव ब्राजील से भारत तक 50% होगा। इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है कि, अगले सीजन के साथ-साथ 2020-21 के मौसम में भी चीनी उत्पादन में गिरावट हो सकती है।
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