NFCSF द्वारा चीनी उत्पादन रिपोर्ट जारी

नई दिल्ली : नेशनल फेडरेशन ऑफ को-ऑपरेटिव शुगर फैक्ट्रीज (NFCSF) द्वारा जारी नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार, भारत ने पहली बार 30 अप्रैल 2022 तक 342 लाख टन से अधिक चीनी का रिकॉर्ड उत्पादन किया है। यह पिछले वर्ष के 300 लाख टन चीनी उत्पादन की तुलना में 14% अधिक है। पिछले 3 वर्षों में भारत का शुद्ध चीनी उत्पादन 2017-18 में 312 लाख टन, 2018-19 में 322 लाख टन और 2019-20 में 259 लाख टन रहा है।

चालू सीजन की एक और उल्लेखनीय विशेषता यह है कि चालू 520 मिलों में से 219 चीनी मिलें अभी भी पेराई में हैं, जबकि पिछले साल इसी तारीख को 106 चीनी मिलें पेराई कर रही थीं। पिछले 3 वर्षों के दौरान 30 अप्रैल को पेराई में मिलों का डेटा 2017-18 में 110 मिलों का संचालन, 2018-19 में 90 मिलों का संचालन और 2019-20 में 112 मिलें शुरू थी।

इस गति से देश का कुल चीनी उत्पादन (एथेनॉल में 35 लाख टन चीनी मिलाने के बाद) पिछले वर्ष के 311 लाख टन चीनी उत्पादन के मुकाबले 355 लाख टन से अधिक होने की संभावना है। पिछले 3 चीनी मौसमों में प्राप्त अंतिम चीनी उत्पादन 2017-18 में 323 लाख टन, 2018-19 में 332 लाख टन और 2019-20 में 274 लाख टन रहा है।

इस वर्ष का पेराई सत्र विशेष रूप से महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, हरियाणा और गुजरात राज्यों में मई 2022 के अंत तक जारी रह सकता है जो भारतीय चीनी क्षेत्र के इतिहास में एक और नया रिकॉर्ड होगा। शीर्ष तीन राज्य (महाराष्ट्र -39%, उत्तर प्रदेश -29%, और कर्नाटक -17%), भारत में कुल चीनी उत्पादन का 85% योगदान देते हैं। कुल मिलाकर, इन तीन राज्यों ने 30 अप्रैल, 2022 तक 291 लाख टन चीनी का उत्पादन किया है, जबकि 30 अप्रैल, 2021 को उनके द्वारा 254 लाख टन चीनी का उत्पादन किया गया था। अन्य सभी राज्यों ने 51 लाख टन चीनी का उत्पादन किया है, जबकि पिछले साल इसी तारीख को 46 लाख टन चीनी का उत्पादन किया था।

उल्लेखनीय बात यह है कि,देश में रिकार्ड चीनी उत्पादन के बावजूद, घरेलू बाजार में चीनी की एक्स-मिल किमताेंं पर कोई नकारात्मक असर नहीं हुआ है। एस ग्रेड चीनी के लिए आज की तारीख में औसत प्राप्ति 3300 रुपये प्रति क्विंटल है, जबकि एम ग्रेड के लिए यह 3550 रुपये प्रति क्विंटल है। यह मुख्य रूप से 85 लाख टन के रिकॉर्ड तोड़ने वाले चीनी निर्यात अनुबंधों के कारण है, जिसमें से 65 लाख टन चीनी को निर्यात के लिए बंदरगाहों तक भौतिक रूप से भेजा गया है।

प्रमुख चीनी निर्यात गंतव्य इंडोनेशिया (15%), बांग्लादेश (10%) और अफगानिस्तान, सोमालिया, जिबूती और मलेशिया में 3% हैं। अंतिम अपेक्षित 95 लाख टन चीनी निर्यात से भारतीय चीनी मिलों को 30,000 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त होगा, जो अपने आप में एक शानदार उपलब्धि होगी, क्योंकि ये निर्यात सरकारी सब्सिडी के बिना पूरा किया गया है।

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