नई दिल्ली : चीनी मंडी
म्यांमार को चीनी की कमी का सामना करना पड़ रहा है और आपूर्ति की कमी से निपटने के लिए के लिए कम से कम एक मिलियन टन चीनी की आवश्यकता है। दुसरी ओर दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा चीनी उत्पादक भारत अतिरिक्त उत्पादन से परेशान है, चीनी की बिक्री के नये नये मौके तलाश रहा है। भारत में दालों का उत्पाद घटने की भी आशंका जताई जा रही है, तो म्यांमार में दालों की अतिरिक्त पैदावर से उनके घरेलू बाजार में किमंती फिसल गई है, ऐसी स्थिती में भारत को म्यांमार के साथ चीनी के बदले दालों का सौदा /बार्टर व्यापार संभव है। आने वाले महीनों में म्यांमार की दालें (अरहर, उरद) को चरणबद्ध तरीके से आयात किया जा सकता है और सार्वजनिक वितरण प्रणाली के माध्यम से भारत में आवश्यक वर्गों में आपूर्ति की जा सकती है।
भारत में 24 अगस्त तक खरीफ दालों की फसल क्षेत्र 13.1 मिलियन हेक्टर है, जो पिछले साल इस समय 13.4 मिलियन हेक्टर से थोड़ा कम है। देश में पिछले एक साल में कम कीमतों के बावजूद, उत्पादकों ने दालों की फसल लेना जारी रखा है। भारतीय उपज पहले से ही विश्व मानकों पर खरी नही उतरती। इस साल का खरीफ दालों का 8.9 मेट्रीक टन का उत्पादन लक्ष्य हासिल होने की संभावना नहीं है और खराब मौसम के चलते दालों के उत्पादन में 10 प्रतिशत और गिरावट आने की संभावना जताई जा रही है।
दिलचस्प बात यह है कि भारत के अलावा, म्यांमार दुनिया में एकमात्र ऐसा देश है जो उरद दाल की खेती करता है। पिछले अगस्त में भारत द्वारा लगाए गए निर्यात प्रतिबंधों के बाद, म्यांमार के घरेलू बाजार में दालों की किमतेें गिर गई है और उत्पादकों ने भारी वित्तीय नुकसान उठाया है। म्यांमार सरकार ने अपने उत्पादकों से भारत से मांग घटते देख हुए अन्य फसलों का उत्पादन लेने के लिए कहा है।