नई दिल्ली : देश के सभी चीनी मिलों के पास 31 जनवरी तक गन्ना किसानों का कुल 16,883 करोड़ रुपये बकाया है, और भुगतान में देरी से किसान काफी परेशान है। खाद्य और उपभोक्ता मामलों के मंत्री पीयूष गोयल ने राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में कहा की, चीनी मिलों द्वारा गन्ना किसानों को गन्ना मूल्य का भुगतान एक निरंतर प्रक्रिया है। चीनी सत्र 2017-18, 2018-19 और 2019-20 में, गन्ना किसानों का देय गन्ना मूल्य क्रमशः 85,179 करोड़ रुपये, 86,723 करोड़ रुपये और 75,845 करोड़ रुपये थे।
उन्होंने कहा की, सरकार द्वारा उठाए गए विभिन्न उपायों के परिणामस्वरूप 31 जनवरी, 2021 को, चीनी सीजन 2017-18, 2018-19 और 2019-20 के लिए किसानों का गन्ना बकाया क्रमशः केवल 199 करोड़ रुपये, 410 करोड़ रुपये और 766 करोड़ रुपये बाकि है। विपणन वर्ष 2020-21 (अक्टूबर-सितंबर) के लिए 31 जनवरी, 2021 को गन्ने का बकाया 16,888 करोड़ रुपये था। जिसमे उत्तर प्रदेश की चीनी मिलों के पास 7,555.09 करोड़ रुपये, इसके बाद कर्नाटक 3,585.18 करोड़ रुपये और महाराष्ट्र के मीलों के पास 2,030.31 करोड़ रुपये बकाया है। पिछले तीन चीनी मौसमों के दौरान खपत की मांग की तुलना में चीनी के अतिरिक्त उत्पादन से चीनी की पूर्व-मिल (एक्स मिल गेट)कीमतों में गिरावट आई है, जिससे चीनी मिलों की तरलता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है, जिसके परिणामस्वरूप किसानों का गन्ना मूल्य बकाया जमा हो गया है।
गोयल ने कहा, चीनी मिलों की तरलता में सुधार करने के लिए, उन्हें किसानों के गन्ना मूल्य बकाया को दूर करने में सक्षम बनाने के लिए, केंद्र सरकार ने पिछले तीन सीजन और वर्तमान सीजन के दौरान विभिन्न उपाय किए हैं।