मुंबई : चीनी मंडी
केंद्र सरकार द्वारा आर्थिक समस्या से परेशान चीनी उद्योग की सहायता के लिए हर मुमकिन कदम उठाया जा रहा है, जिसमे निर्यात कोटा सब्सिडी, जैसे कई अहम फैसले शामिल है। सरकार के इस फैसलों के कारण वित्तीय कठिनाइयों से संघर्ष कर रहे चीनी उद्योग को कुछ राहत मिली है, और इसका सीधा असर स्टॉक मार्केट में भी साफ़ नजर आ रहा है। पिछले कुछ महीनों में पिटे हुए चीनी के शेयरों में हाल ही में जोरदार तेजी देखि जा रही है। इन्वेस्टर्स चीनी स्टॉक खरीदने में दिलचस्पी दिखा रहे है। कई स्टॉक ब्रोकिंग हाउसेस भी चीनी स्टॉक खरीदने की राय दे रहें है।
केंद्र सरकार का 100% गन्ने के रस से बने इथेनॉल के लिए ज्यादा किंमत की अनुमति देने का दूसरा बहुत महत्वपूर्ण निर्णय इस दिशा में एक और बड़ा और सकारात्मक कदम है। सरकार का यह निर्णय इथेनॉल मिश्रण को देश भर में मौजूदा 6% औसत स्तरों से और बढ़ाने में मदद करेगा। चीनी उद्योग इथेनॉल क्षमताओं में निवेश कर रहा है, और बहुत सकारात्मक रूप से प्रतिक्रिया दे रहा है, जो यह सुनिश्चित करेगा कि, 2022 तक सरकार के 10% इथेनॉल मिश्रण लक्ष्यों को लगभग निश्चित रूप से प्राप्त करेंगे। इससे अधिशेष की समस्या से छुटकारा भी मिलेगा और मिलों की बैलेंस शिट भी अच्छी होगी। इन सभी कारकों की वजहों से चीनी मिलों के स्टॉक्स अच्छा प्रदर्शन कर रहे है। धरणी शुगर ऐंड केमिकल्स 66%, बलरामपुर चीनी 35%, धामपुर और बजाज हिंदुस्थान के शेयरों के दाम में लगभग 33-33% की तेजी आई है। बलरामपुर चीनी का शेयर तीन महीने के हाई पर पहुंच गया है। रेणुका शुगर के शेयरों में भी पिछले कुछ दिनों से तेजी लौट आई है।
देश चीनी अधिशेष से जूझ रहा है और इसलिए सरकार का मकसद चीनी निर्यात को बढ़ावा देना है। इसके चलते केंद्र सरकार ने 28 अगस्त को 60 लाख टन चीनी निर्यात करने के लिए सब्सिडी देने का फैसला किया था। इसपर 6268 करोड़ रुपये की सब्सिडी दी जाएगी। कैबिनेट ने चीनी सीजन 2019-20 के लिए चीनी मिलों को निर्यात करने के लिए 10,448 रुपए प्रति टन के हिसाब से सब्सिडी देने को मंजूरी दी थी।
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