नई दिल्ली: अक्टूबर 2021 से शुरू हुए चीनी सीजन 2021-22 के अंत में देश में चीनी का क्लोजिंग स्टॉक पिछले 10 वर्षों में अपने दूसरे सबसे निचले स्तर पर रहने की उम्मीद है। यह पिछले कई सालों से अधिशेष चीनी की समस्या से संघर्ष कर रहे मिल मालिकों के लिए शुभ संकेत माना जा रहा है। इस स्थिति के चलते मिलर्स को किसानों का बकाया जल्दी चुकाने में मदद होगी, साथ ही अधिशेष चीनी की समस्या में कमी के कारण खुले बाजार में कमोडिटी की स्थिर कीमत सुनिश्चित करने में भी मदद होगी।
बिजनेस स्टैंडर्ड में प्रकाशित खबर के मुताबिक, छह मिलियन टन निर्यात, 31 मिलियन टन से अधिक चीनी उत्पादन और 3.4 मिलियन टन एथेनॉल उत्पादन की ओर मोड़ने के बाद 2021-22 सीजन के अंत में चीनी इन्वेंट्री 6.5-7.0 मिलियन टन होने की उम्मीद है। जबकि, 2020-21 सीजन में चीनी का क्लोजिंग स्टॉक 8.2 मिलियन टन था। पिछली बार जब चीनी क्लोजिंग स्टॉक 2021-22 में अपेक्षित स्तर से कम था, तब 2016-17 में क्लोजिंग स्टॉक लगभग 3.4 मिलियन टन था।
इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (ISMA) के अपडेट के अनुसार, बाजार रिपोर्ट और बंदरगाह की जानकारी के अनुसार, अक्टूबर से दिसंबर 2021 की अवधि के दौरान लगभग 17 लाख टन चीनी का भौतिक रूप से निर्यात किया गया है। पिछले साल इसी अवधि के दौरान लगभग 4.5 लाख टन चीनी का निर्यात किया गया था। इसके अलावा, जनवरी, 2022 के महीने में लगभग 7 लाख टन चीनी निर्यात के लिए पाइपलाइन में है।