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विशेष संवाददाता, नई दिल्ली
चीनी ज्यादा दिनों तक सस्ती नहीं रहने वाली है। जल्द ही महंगी हो सकती है। सूत्रों के मुताबिक 4 मई को होने वाली जीएसटी काउंसिल की बैठक में चीनी पर सेस लगाने का फैसला हो सकता है। सेस की रकम से गन्ना किसानों के बकाये का भुगतान किया जाएगा। दरअसल मंत्रियों के समूह की चीनी पर सेस लगाने की सिफारिश थी। सेस लगने से चीनी की कीमत में बढ़ोतरी होना तय है।
मौजूदा समय शुगर कंपनियां मार्केट के फोकस में है। गन्ना किसानों का भुगतान दिलाने के लिए बनी ग्रुप ऑफ मिनिस्टर की पिछले दिनों बैठक हुई थी। इस बैठक में तीन फॉर्मूलों पर चर्चा हुई जिसमें किसानों को प्रोडक्शन सब्सिडी देने और चीनी पर सेस लगाना शामिल है। सरकार एथेनॉल की कीमत बढ़ाने पर भी विचार कर रही है। साथ ही एथेनॉल पर जीएसटी कम करने का प्रस्ताव है कि ताकि एथेनॉल का प्रोडक्शन बढ़ सके।
इधर उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र में गन्ना किसानों के बकाये में बढ़ोतरी देखने को मिली है। 31 मार्च तक गन्ना किसानों का बकाया 19,780 करोड़ रुपये पर पहुंच गया है। गन्ना किसानों को 16,622 करोड़ रुपये देने में चीनी मिल समर्थ नहीं हैं। सूत्रों के मुताबिक सरकार की ओर से चीनी पर 1-1.5 रुपये प्रति किलो तक सेस लगाने का फैसला हो सकता है। रंगराजन फॉर्मूले के मुताबिक सेस का बंटवारा किया जाएगा। रंगराजन समिति के मुताबिक वसूली का 75 फीसदी या बायप्रोडक्ट का 70 फीसदी किसानों के पास जाए और 226.8 रुपये प्रति क्विंटल गन्ना किसानों को मिलना चाहिए।