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मुंबई : चीनीमंडी
महाराष्ट्र में सूखे की स्थिति काफी गंभीर बनी हुई है, हजारों गावों में लोग पाणी के लिए तरस रहे है, लेकिन चौकाने वाली बात यह है की, सूखे के बावजूद इस साल गन्ना क्षेत्र में लगभग 2.5 लाख हेक्टेयर बढ़ोतरी हो गई है। चिंता की बात यह है कि, मराठवाड़ा जिसे सूखे के कारण ‘टैंकरवाड़ा’ नाम दिया गया है, वहाँ के लातूर, परभनी, जालना और उस्मानाबाद जैसे जिलों में गन्ने की खेती ने लगभग दो से ढाई गुना की वृद्धि दर्ज की है। सोलापुर, मराठवाड़ा जैसे सूखाग्रस्त क्षेत्रों में गन्ने के क्षेत्र में बढ़ोतरी उल्लेखनीय वृद्धि है।
गन्ने की रोपाई बढ़ने से चीनी का उत्पादन बढ़ा है। राज्य में गन्ने की खेती और जिलेवार आंकड़ों में वृद्धि के मद्देनजर, पुणे, सतारा और सोलापुर जिलों के गन्ने का क्षेत्र 2 लाख 94 हजार हेक्टेयर से 4 लाख 14 हजार हेक्टेयर के गन्ना क्षेत्र तक पहुंचने में सक्षम हुआ है। इसी तरह, सोलापुर में, 2018 -19 में, 2017 – 2018 की तुलना में, 85 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में, गन्ना रोपाई हुई है।
अहमदनगर क्षेत्र में, गन्ने का 33,000 हेक्टेयर क्षेत्र बढ़ गया है, जबकि औरंगाबाद विभाग में गन्ना क्षेत्र के तहत 35,000 हेक्टेयर क्षेत्र है। पिछले दो वर्षों में, जालना का औसत क्षेत्र 15 हजार हेक्टेयर था, जबकि पिछले दो वर्षों में, पहले 23,779 हेक्टेयर और फिर 37,766 हेक्टेयर हुआ है। जबकि लातूर में औसतन 33 हजार 800 हेक्टेयर क्षेत्र है, 2018-19 सत्र में 62 हजार 300 हेक्टेयर पर गन्ना लगाया गया है। उस्मानाबाद में लगभग 27,000 हेक्टेयर क्षेत्र में, और परभणी में 21,000 हेक्टेयर भूमि को गन्ना फसल के साथ जोड़ा गया है। सबसे सूखाग्रस्त बीड में एक साल में गन्ने का रकबा 13 हजार हेक्टेयर बढ़ा है।