नई दिल्ली : चीनी मिलें इस कोरोना संकट के समय भी पेराई में जुटी हुई है ताकि गन्ना किसानों का कोई नुकसान हो। और साथ ही उनकी चीनी बिक्री ठप है जिसके कारण उन्हें राजस्व की समस्या पैदा हुई है और वे गन्ना बकाया चुकाने में भी विफल है।
न्यूज़ एजेंसी PTI द्वारा प्रकाशित खबर के मुताबिक केंद्रीय खाद्य मंत्रालय के अनुसार, 2019-20 सीजन में अब तक गन्ना बकाया 17,134 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है। केंद्रीय खाद्य मंत्रालय द्वारा बनाए गए नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, मिलों ने 2019-20 सीजन के 28 मई तक 64,261 करोड़ रुपये के कुल देय में से 47,127 करोड़ रुपये के गन्ना मूल्य बकाया का भुगतान किया है और, कुल गन्ना बकाया 17,134 करोड़ रुपये है।
गन्ना (नियंत्रण) आदेश, 1966 के तहत, गन्ना आपूर्ति के 14 दिनों के भीतर किसानों को गन्ना मूल्य भुगतान करने के लिए चीनी मिलों की आवश्यकता होती है। यदि मिलें भुगतान करने में विफल रहती हैं, तो उन्हें 14 दिनों से अधिक की देरी के कारण, प्रति वर्ष 15 प्रतिशत की दर से ब्याज का भुगतान करना होगा।
2017-18 और 2018-19 सत्रों में अधिशेष चीनी उत्पादन के कारण चीनी की कीमतों में गिरावट ने मिलों की तरलता पर प्रतिकूल प्रभाव डाला, जिससे किसानों का गन्ना मूल्य बकाया भुगतान करने में मिलें विफ़ल रही।
कोरोना वायरस महामारी के कारण चीनी उद्योग पर काफी गहरा असर हुआ है। देशव्यापी लॉकडाउन के चलते घरेलू और वैश्विक बाजारों में चीनी बिक्री ठप हुई है, जिसका सीधा असर मिलों के राजस्व पर दिखाई दे रहा है। आइसक्रीम, कोल्डड्रिंक और चॉकलेट जैसे विविध प्रकार के उत्पादों के कन्फेक्शनरों और निर्माताओं से औद्योगिक इस्तेमाल के लिए मांग में गिरावट के कारण चीनी की बिक्री ठप है। इसके अलावा चीनी के उप-उत्पाद की बिक्री भी धीमी है। मार्च और अप्रैल में चीनी की बिक्री लॉकडाउन के कारण एक मिलियन टन कम थी। चीनी बिक्री न होने से चीनी मिलों के सामने गन्ना भुगतान करने की भी चिंता है।
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