नई दिल्ली: राज्य सभा में एक प्रश्न के उत्तर में उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय में राज्य मंत्री, दानवे रावसाहेब दादाराव ने कहा की गन्ना किसानों का बकाया भुगतान केवल एक वर्ष में 54 गुना तक बढ़ गया है। भारत में चीनी मिलों पर गन्ना किसानों का 15,565 करोड़ रुपये बकाया है, जो पिछले वर्ष में 285 करोड़ रुपये था।
चीनी मिलों की खराब वित्तीय स्थिति के कारण उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र जैसे प्रमुख चीनी उत्पादक राज्यों के किसान सबसे ज्यादा प्रभावित हैं। उत्तर प्रदेश में चीनी मिलों पर सबसे अधिक गन्ना बकाया है, इसके बाद महाराष्ट्र है।
दानवे रावसाहेब दादराव ने राज्यसभा में कहा, “चीनी मिलों की वित्तीय स्थिति में सुधार करने के उद्देश्य से सरकार ने चीनी की न्यूनतम बिक्री मूल्य 29 रुपये से बढ़ाकर 31 रुपये प्रति किलोग्राम की थी, ताकि वे गन्ना बकाया को समाप्त कर सके।”
गन्ने का बकाया भुगतान नहीं होने के कारण अनेक राज्यों के किसानों ने अपना विरोध तेज कर दिया है। चीनी मिलों की सहायता करने के लिए केंद्र सरकार ने विभिन्न उपायों, जैसे की चीनी के एमएसपी में बढ़ोतरी, सॉफ्ट लोन योजना की शुरुआत की थी, लेकिन फिर भी मिलें बकाया चुकाने में असफल रहे। चीनी मिलें दावा करती है की अधिशेष चीनी और कम कीमतों के कारण उनकी आर्थिक हालत पर असर पड़ा है और जिसके चलते वे गन्ना बकाया चुकाने में नाकाम रहे है।
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