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पुणे : चीनी मंडी
राज्य के आधे से भी कम चीनी मिलों ने गन्ना किसानों को उचित और पारिश्रमिक मूल्य (एफआरपी) चुकाया है। चीनी मिलों में किसानों के आंदोलन और राज्य सरकार द्वारा उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू करने की धमकी के बावजूद इस गन्ना पेराई सत्र में लगभग 1,436 करोड़ रुपये का एफआरपी बकाया है। 2018-19 सीजन के गन्ना पेराई के लिए 195 सहकारी और निजी चीनी मिलों को अनुमति दी गई थी। उसमे से केवल 86 निजी और सहकारी चीनी मिलों ने किसानों को सभी भुगतान किए हैं। चीनी आयुक्त कार्यालय द्वारा बताया गया कि, मिलों ने अब तक किसानों को 21,604 करोड़ रुपये से अधिक का भुगतान किया हैं। हर दिन, मिलें किसानों के बैंक खातों में पैसा जमा कर रहे हैं। हम उम्मीद करते हैं कि, अगले कुछ दिनों में स्थिति काफ़ी सुलझ जाएगी।
49 निजी और सहकारी चीनी मिलों ने मई के अंत तक 80% से 99% तक बकाया भुगतान जारी कर दिया है। दिलचस्प बात यह है कि पांच चीनी मिलों ने किसानों को 100% से अधिक का भुगतान किया है, किसानों के साथ अपने लाभ को साझा किया है। राज्य में चार चीनी मिलों की पहचान की गई है जिन्होंने किसानों को 50% से कम भुगतान किया है।
भुगतान में देरी करनेवाली मिलों को राज्य सरकार ने गन्ना नियंत्रण अधिनियम (एससीए) और राजस्व वसूली संहिता (आरआरसी) के तहत नोटिस जारी करके हस्तक्षेप किया। अभी तक 56 निजी और सहकारी चीनी मिलों को नोटिस जारी किए गए, जिसमें कहा गया है कि, किसानों को भुगतान करने के लिए चीनी स्टॉक और अचल संपत्तियों को जब्त कर लिया जाएगा। सरकार द्वारा कार्रवाई के बाद कई मिलों ने किसानों के बैंक खातों में भुगतान जमा करना शुरू कर दिया। सरकार ने कुछ मामलों में नीलामी प्रक्रिया भी शुरू की थी।