कर्नाटक में गन्ना संकट बढ़ा सकती है भाजपा की परेशानी

बेंगलुरु: राज्य के उपचुनावों में गन्ने की राजनीति मांड्या चुनाव क्षेत्र में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के समीकरण को बिगाड़ सकती है। इससे बीजेपी सरकार के लिए परेशानी बढ़ सकती है।

कर्नाटक में चीनी का गढ़ माने जाने वाले मांड्या में गन्ने की मांग में गिरावट से भाजपा की छवि कमजोर हुई है।

कर्नाटक के मैसूरुगर और पांडवपुरा कारखानों के बंद होने से किसानों की परेशानी बढ़ी है और उन्होंने सरकार से जिले के बाहर कारखानों में अपने गन्ने को भेजने के लिए परिवहन लागत मुहैया कराने की मांग की है। यहां के किसानों की गत तीन वर्षों से लगातार सूखे और चीनी मिलों के बंद होने से बर्बादी हुई है। यहां चार निजी चीनी मिलें हैं, लेकिन उनकी उत्पादन क्षमता कम है। इसलिए वे किसानों के अतिरिक्त फसल को नहीं ले पा रहे हैं। वैसे भाजपा के डिप्टी मुख्यमंत्री सी. अश्वनाथ नारायण और जिला प्रभारी मंत्री आर. अशोक ने किसानों को उनके गन्ने के परिवहन लागत को पूरा करने का आश्वासन दिया था, लेकिन उसपर अभी तक अमल नहीं हो पाया है।

कर्नाटक राज्यसभा संघ के नेता दर्शन पुत्तनैया ने किसानों की दुर्दशा के बारे में सीएम येदियुरप्पा से संपर्क किया था, और बाद में यह भी आश्वासन दिया था कि एक टेक्निकल टीम मैसूरुगर और पांडवपुरा कारखानों को चालू करने के लिए कदम उठाएगी। सांसद सुमलता ने भी सीएम से अपील की है कि वे कृषि संकट को दूर करने में सहायता करें। लेकिन खबरो के मुताबिक जमीनी स्तर पर यहां भी कुछ नहीं हुआ है।

हुलवाना गाँव के एक किसान श्रीनिवास, जिन्होंने चार एकड़ में गन्ना उगाया था, ने गन्ने की कटाई की अनुमति न मिलने के कारण आत्महत्या कर ली थी। इससे किसान समुदाय को गहरा झटका लगा है।

एक किसान वसंत कुमार ने कहा कि सरकार को इस मुद्दे पर गंभीरता से विचार करना चाहिए, क्योंकि हजारों किसानों ने लाखों एकड़ में गन्ना उगाया है। एक किसान कृष्णा ने कहा कि परिवहन शुल्क का भुगतान करने में सरकार की विफलता यहां एक राजनीतिक मुद्दा बन जाएगी।

यह न्यूज़ सुनने के लिए प्ले बटन को दबाये.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here