मुंबई : चीनी मंडी
दक्षिण महाराष्ट्र में कुछ चीनी मिलों ने गन्ना क्रशिंग शुरू नहीं करने का फैसला किया है, क्योंकि किसान संघठनों ने इस सीजन की फसल के लिए उचित और लाभकारी कीमतों (एफआरपी) और 200 रूपये मांगे हैं। यह मांग को गैर न्यायिक करार देते हुए, इसे पूरा करने में चीनी मिलों ने खुद को असमर्थ माना है ।हालांकि, इस बंद के कारण नए सीजन में उत्पादन में देरी सकती है।
किसानों के एसोसिएशन स्वाभिमानी शेतकरी संघठन ने घोषणा की है कि, मिलों को एफआरपी और ऊपर 200 रुपये प्रति टन का भुगतान करने के लिए सहमत होने तक मिलों को तब तक काम नहीं करने दिया जाएगा। कोल्हापुर क्षेत्र की मिलें सरकारद्वारा फसल की कीमतों पर स्पष्टता की प्रतीक्षा कर रहे हैं।
राज्य में 194 चीनी मिलों ने गन्ना क्रशिंग लाइसेंस के लिए चीनी आयुक्त कार्यालय से आवेदन किया है, उनमे से 55 चीनी मिलों ने लाइसेंस प्राप्त किया है और 32 मिलों ने चीनी उत्पादन शुरू कर दिया है। चीनी आयुक्त कार्यालय के एक अधिकारी ने कहा की, 29 चीनी मिलों को क्रशिंग लाइसेंस जारी करने का निर्णय रोक दिया गया है क्योंकि उन्होंने पिछले वर्ष के एफआरपी का भुगतान नहीं किया है। लेकिन कोल्हापुर डिवीजन से पांच चीनी मिलों ने घोषणा की है कि, जब तक गन्ना दर का मुद्दा हल नही हो सकता, तब तक गन्ना क्रशिंग बंद कर देंगे । राज्य चीनी विभाग को भरोसा है कि, अधिकांश मिलें 20 नवंबर तक परिचालन शुरू कर देंगे।
दिवाली के बाद गन्ना कटाई मजदूर चीनी मिलों के स्थानों पर जाना शुरू कर देंगे । चीनी उद्योग के अंदरूनी सूत्रों का मानना है कि, गन्ने की कीमतों पर ‘डेडलॉक’ को हल करने के बारे में कोई भी चर्चा दिवाली के बाद ही होगी। हालांकि, क्रशिंग मौसम के विलंब का उत्पादन चीनी उत्पादन पर बड़ा असर नहीं होगा क्योंकि नवंबर में वसूली अधिक है। लेकिन देरी प्रभावित क्षेत्रों में किसानों को नुकसान पहुंचा सकती है क्योंकि उन्हें गन्ने को पानी देने के लिए संघर्ष करना पड़ता हैं ।