पुणे : चीनी मंडी
महाराष्ट्र के पश्चिमी इलाके में तेज बाढ़ और मराठवाडा में सूखे के कारण गन्ना फसल क्षतिग्रस्त हुई थी, और तो और मराठवाडा में सूखे के कारण काफी सारे गन्ने का इस्तेमाल पशु शिविरों में चारे के रूप में किया गया, जिसका सीधा असर पेराई पर दिखाई दे रहा है। गन्ना और श्रमिकों की कमी के कारण तीन मिलों ने पेराई सीजन शुरू करने के बाद केवल कुछ हप्तों में ही पेराई रोक दी है। आपको बता दे, महाराष्ट्र में अब तक तीन चीनी मिलों द्वारा गन्ना पेराई बंद कर दिया गया है।
पानी की किल्लत से जूझ रहे मराठवाडा क्षेत्र के शरद पैठण सहकारी चीनी मिल को गन्ने की कमी के कारण मिल को बंद करना पड़ा था। अहमदनगर जिले के केदारेश्वर चीनी मिल को भी गन्ने के अभाव में मजबूरन पेराई रोकनी पड़ी थी। और अब खबरों के मुताबिक ऐसी कुछ स्थिति बीड जिले के जय भवानी चीनी मिल की भी हुई है। इस मिल के पास भी पूरी क्षमता से पेराई सीजन हो सके इतना गन्ना उपलब्ध नही था, जिसकी वजह से पेराई का कामकाज बंद कर दिया गया है। फरवरी के अंत तक राज्य में पेराई सीजन खत्म होने का अनुमान लगाया जा रहा है।
वर्तमान में राज्य में चीनी का सीजन अपने चरम पर है, लेकिन चारे के लिए गन्ने का इस्तेमाल और बाढ़ के कारण फसल के नुकसान के कारण अधिकांश मिलें जनवरी के अंत तक पेराई को खत्म करने की उम्मीद है।
चीनी आयुक्तालय के रिपोर्ट के मुताबिक, 07 जनवरी तक 202.81 टन गन्ने की पेराई की गई और 10.23 रिकवरी के हिसाब से 207.51 लाख क्विंटल चीनी उत्पादन की गई।
इस बार महाराष्ट्र में बाढ़ और सूखे के कारण गन्ना उत्पादन पर काफी असर पड़ा है और साथ ही साथ, राज्य में राजनीतिक अनिश्चितता के कारण गन्ना पेराई सत्र में देरी हुई है। महाराष्ट्र में चीनी मिलों ने राज्य के राज्यपाल बीएस कोश्यारी से अनुमति मिलने के बाद आधिकारिक तौर पर गन्ना पेराई सीजन शुरू कर दिया था। राज्यपाल ने 22 नवंबर को आधिकारिक रूप से सीजन शुरू करने की अनुमति दी थी। देरी से सीजन शुरू होने के कारण चीनी उत्पादन में काफी गिरावट देखि जा सकती है।
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