कोल्हापुर : चीनी मंडी
भारी बारिश के कारण बाढ़ प्रभावित कोल्हापुर, सांगली और सातारा में गन्ने की फसल बर्बाद हुई है। दूसरी ओर मराठवाडा में सूखे के कारण गन्ने की फसल क्षेत्र में काफ़ी कमी आई है, जिससे अगले सीझन में चीनी मिलें पूरी क्षमता से चलाना मुश्किल हो सकता है। पश्चिमी महाराष्ट्र की कई मिलों ने गन्ने की कमी को देखते हुए गन्ना कटाई मजदूरों से ‘कटाई करार’ करना बंद कर दिए है। हर साल चीनी मिलें सीझन शुरू होने से छह महिने पहलेही ‘कटाई करार’ करते है, और मजदूरों को कुछ लाख रूपये अग्रिम रूप में देते थे, लेकिन गन्ने की कमी ने इस साल मजदूरों को बेरोजगार किया है।
लातूर, बीड, उस्मानाबाद, सोलापुर और माण (सातारा) के कई हजार मजदूर दशहरा होते ही गन्ना कटाई के लिए पश्चिमी महाराष्ट्र और कर्नाटक में जाते है, लेकिन इस साल ‘कटाई करार’ नही होने कारण यहाँ के कई मजदूर बेरोजगार हुए है। पिछले कुछ दिनों में भारी बारिश के कारण कोल्हापुर, सांगली में कई नदियों में बाढ़ आई थी। बाढ़ के कारण फसल पूरी तरह बर्बाद हो चुकी है, जिसमे सबसे ज्यादा गन्ना क्षेत्र प्रभावित हुआ है। जिसका सीधा असर गन्ना कटाई मजदूरों के रोजीरोटी पर हुआ है।
बाढ़ ने राज्य में कई हजार हेक्टेयर पर फसलों को नुकसान पहुंचाया है। अन्य फसलों की तरह, अत्यधिक जलभराव से गन्ने को भी नुकसान हुआ है। इसलिए ऐसी उम्मीद है की इसका असर राज्य में चीनी उत्पादन पर हो सकता है। गन्ने और अन्य फसलों के किसानों के बारे में बात की जाए तो वे सदमे की स्थिति में हैं और अब अपने जीवन को वापस से पटरी पे लाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। उद्योग निकायों और राजनीतिक दलों ने भी स्थिति का आकलन किया है और दावा किया कि बाढ़ से उद्योगों के बंद होने और फसलों के गंभीर नुकसान से कम से कम 10,000 करोड़ रुपये के नुकसान का अनुमान है।