कर्नाटक: राजनीतिक दलों के चुनावी एजेंडे से गन्ना बकाया गायब

गन्ना उत्पादक जिले बेलगावी में उपचुनाव हो रहे हैं। इस क्षेत्र से दो उम्मीदवार रमेश जारकीहोली और श्रीमंत पाटिल चुनाव लड़ रहे हैं। दोनों नेताओं की जिले में चीनी मिले हैं और इनके यहां किसानों के करोड़ों रुपए का गन्ना बकाया है। सबसे आश्चर्य की बात यह है कि इन दोनों नेताओं के चुनावी एजेंडे से गन्ने का बकाया मुद्दा गायब है।

स्वाभिमानी शेतकारी संगठन के अध्यक्ष राजू शेट्टी ने पिछले सप्ताह यहां किसानों के साथ बैठक की। उन्होंने उन्हें विभिन्न राजनीतिक दलों को भुगतान न करने के मुद्दे को उठाने के लिए कहा। उन्होंने कहा कि किसानों को झांसे में रखकर राजनीतिक दल अपनी रोटियां सेंक रहे हैं। उन्होंने कहा कि इन नेताओं की चीनी मिलों में किसानों का दोहन हो रहा है। उनके पैसे हड़पे जा रहे हैं।

उन्होंने कहा कि गन्ना किसानों को इस साल बाढ़ के कारण दोहरी मार पड़ी है। अगर चुनाव लड़ना हो तो किसानों की व्यथा को मुद्दा बनाओ। किसान नेता पूनप्पा पुजारी ने कहा कि गन्ना बकाया लंबित होना राज्य भर में एक समस्या है। किसान गन्ने को पसंद करते हैं क्योंकि यह एक हार्डी फसल है और मौसम के छोटे बदलावों से क्षतिग्रस्त नहीं होती है। लेकिन हाल ही में उत्तर कर्नाटक में आई बाढ़ के दौरान, गन्ने की फसल नष्ट हो गई। अगर किसानों को यहां कुछ पैसे की राहत दी जाती है तो वे आगामी फसल को बोने में सक्षम हो जाएंगे।

हालांकि कुछ उम्मीदवारों ने इस चुनाव में गन्ने से संबंधित मुद्दे को उठाया है। कागवाड़ में कांग्रेस के उम्मीदवार राजू कागे ने हाल ही में एक रैली में मतदाताओं को बताया कि पाटिल किसानों के करोड़ों रुपए दबाए हुए हैं। उनका भुगतान नहीं कर रहे।

जुलाई तक उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, पिछले पेराई सत्र के अंत तक बेलागवी में 24 मिलों में से 14 ने अपने सभी बकाया किसानों को चुका दिया। दस कारखानों का अभी भी लगभग 294 करोड़ रुपए बकाया है।

भाजपा उम्मीदवार रमेश जारकीहोली ने किसानों को अगले कुछ महीनों में उनके सभी बकाया राशि का भुगतान किये जाने का आश्वासन दिया।

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