काठमांडू:कोरोना वायरस महामारी ने नेपाल के गन्ना किसानों के संकट को और बढ़ा दिया है। लॉकडाउन के कारण किसानों के गन्ने अभी भी खेतों में खड़े हैं। साथ ही इन किसानों के बकाया चीनी मिलों में फंसे हैं और मिलें इसका भुगतान नहीं कर रही हैं। इससे किसानों को दोहरी मार झेलनी पड़ रही है। नेपाल में गन्ने की कटाई का मौसम सामान्यतः जनवरी से मार्च तक होता है। लेकिन इस बार किसानों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ा है।
द हिमालयन टाइम्स के मुताबिक, सरलाही के एक गन्ना किसान राजेश यादव ने कहा कि पहले हम बकाया चुकाये जाने का विरोध कर रहे थे, इसलिए चीनी मिलें भी नहीं चल रही थीं। किसान दुविधा में थे कि खेतों के गन्ने काटे जाएं या नहीं। लेकिन जब चीनी मिलों ने काम शुरु किया, तब सरकार ने कोरोना वायरस संक्रमण से बचाव के लिए लॉकडाउन कर दिया। ऐसे में ज्यादातर किसान फंस गये हैं। जिन किसानों ने पहले ही मिलों को गन्ना आपूर्ति की थी, उन्हें भी लॉकडाउन के कारण भुगतान नहीं मिल रहा है।
यादव ने कहा गन्ना किसान चीनी मिलों से अपने भुगतान के लिए काफी समय विरोध प्रदर्शन किया। वे काठमांडू भी गये और सरकार से इसमें हस्तक्षेप करने की मांग भी की। किसानों से 17 मार्च से भारी विरोध प्रदर्शन का आहवान किया था लेकिन कोरोना संकट के कारण उन्हें अपना विरोध प्रदर्शन छोड़ना पड़ा है। यादव ने कहा कि गन्ने की खेती हमारे अस्तित्व का साधन है और हम अपने उत्पादों को बर्बाद नहीं कर सकते। इसलिए, हमने मिलों को अपना गन्ना दे दिया है।
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