पुणे: महाराष्ट्र के कई गन्ना किसानों की कपास खेती की ओर दिलचस्पी बढ़ रही है। किसानों के अनुसार, उनको कपास से मिलनेवाली आय उन्हें गन्ने की खेती से होने वाले मुनाफे से अधिक है। किसान अब गन्ने का रकबा कम करने की योजना बना रहे है और कपास की फसल बढ़ा रहे है।
द टाइम्स ऑफ इंडिया में प्रकाशित खबर के मुताबिक, किसानों ने दावा किया की, कपास से उच्च आय के साथ-साथ खेतों में अन्य फसलों की खेती होती है और अतिरिक्त राजस्व मिलता है। गन्ने की खेती के मामले में ऐसा नहीं होता। सैकड़ों गन्ना उत्पादकों ने कम पूंजी निवेश और उच्च राजस्व के कारण पिछले दो वर्षों में कपास की खेती की ओर रुख किया है। श्रीरूर कृषि कार्यालय के एक अधिकारी ने कहा कि, इस बदलाव को एक सकारात्मक बदलाव के रूप में देखा जा रहा है, आने वाले महीनों में कई अन्य बदलाव होने की संभावना है।
शिरूर के कृषि अधिकारी सिद्देश धवले ने कहा, तहसील में लगभग 250 हेक्टेयर में कपास की खेती होती है, जो पुणे जिले में सबसे अधिक है। इन किसानों की सफलता से दूसरों को प्रेरणा मिलने की उम्मीद है। कपास की खेती के प्रयोग से कई लोगों को भूमि की उर्वरता में सुधार में मदद मिलेगी। गन्ने के लिए अत्यधिक पानी की आवश्यकता के कारण पिछले कुछ वर्षों में मिट्टी की गुणवत्ता खराब हो गई है। उर्वरकों की अधिक आवश्यकता के कारण गन्ने की खेती महंगी हो गई है। किसानों को एक एकड़ में इसकी खेती करने के लिए न्यूनतम 30,000 रुपये की पूंजी की आवश्यकता होती है, जिससे यह कई उत्पादकों के लिए अवहनीय हो जाता है।