चेन्नई: तमिलनाडु के राजपलायम और श्रीविल्लीपुथुर के गन्ना किसानों की चिंता बढ़ने लगी है। उनके गन्ने की कटाई में देरी हो रही है क्योंकि कोरोना संकट के कारण उन्हें मजदूर नहीं मिल रहे। इनके गन्ने 5 हजार एकड़ में हैं और खेतों में खड़े सूख रहे हैं। इन गन्नों की खेती पिछले साल मार्च से मई महीने के दौरान की गई थी। इन्हें 12 महीने के भीतर काट दिया जाना चाहिए था। लेकिन कोरोना वायरस को रोकने के लिए लॉकडाउन के कारण इसमे देरी हो रही है।
द हिन्दू में प्रकाशित खबर के मुताबिक, तमिझागा विवासायगल संगम के अध्यक्ष एनए रामचंद्र राजा ने कहा कि इन खेतों में प्रत्येक किसान ने प्रति एकड़ कम से कम पचास हजार रुपए का निवेश किया है। धारनी शुगर्स के अधिकारी हमारे इन गन्नों को अपने मजदूरों से कटवाते हैं। लेकिन इस बार लॉकडाउन के कारण उन्हें मजदूर नहीं मिल रहे हैं। कंपनी का कहना है कि वे दूसरे जिलों से मजदूर लाना चाहते हैं, लेकिन जिला प्रशासन इसकी अनुमति अब तक नहीं मिली है।
धारानी शुगर्स के एक अधिकारी ने कहा कि, गन्ना काटने के लिए अस्सी प्रतिशत मजदूरों को विल्लुपुरम और कुड्डालोर जैसे दूसरे जिलों से लाना पड़ता है। श्रीविल्लीपुथुर, वाट्रप, सीथुर और राजापलायम में पूरे क्षेत्र में गन्ना काटने के लिए बड़ी संख्या में श्रमिकों को लाने के लिए हमें राज्य सरकार से मंजूरी की आवश्यकता है। स्थानीय स्तर पर केवल 20 प्रतिशत ही मजदूर हैं। इनसे गन्ने की पूरी कटाई संभव नहीं है।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, कृषि विभाग के एक अधिकारी ने कहा कि विल्लुपुरम, कुड्डलोर और विरुधुनगर तीन जिले कोरोना संक्रमित हैं और ये रेड जोन में हैं। इसलिए दिक्कत हो रही है। उन्होंने कहा कि इन रेड जोन वाले इलाकों से 500 मजदूरों को लाना जोखिम होगा।
मिल अधिकारी ने कहा कि गन्ने की कमी के कारण चीनी मिल लगभग 20 प्रतिशत क्षमता के साथ चल रही है। गन्ना एसोसिएशन के प्रेसिडेंट रामचंद्र राजा ने राज्य सरकार से इस दिशा में जल्द से जल्द एक अनुकूल निर्णय लेने की अपील की है।
यह न्यूज़ सुनने के लिए प्ले बटन को दबाये.