चिनी मिलोंने अदा नहीं कि भुगतान राशि से राहतके लिए, श्री नरेंद्र मोदीजी के सरकारने अभी गन्ने के किसानोंको जो पॅकेज घोषित किया है, यह एक सवाल उपस्थित करता है| यह स्पष्ट है, ना तो गन्नेके किसान या चिनी मिले बलकी चिनी ट्रेडर्स बैंक पर हस रहें है| ध्यानमें रखना: १९ में तक महराष्ट्र में आमतौर पर व्यापार होनेवाली एस-३० किस्म कि एक्स फॅक्ट्री औसतन किमत २५१५ रु. प्रति क्विंटल रही है| ठिक ईसी समय, चिनी उद्योगमें केंद्रीय मंत्रीमंडलने ‘सोच रखे’ चार प्रस्तोंकि बातें गूंज रही थी, इस पॅकेज के अंतर्गत शीघ्रता से भुगतान हेतु गन्ने के किसानोंको २२,००० करोड़ मूल्य कि राशी २०१७- १८ (ऑक्टोबर- सप्तंबर) इस क्रशिंग मौसममें प्राप्त हुवी थी।
इस प्रस्ताव में लगबग ३० लक्ष टन बफर स्टॉक का निर्माण करना, कमसे कम कारखानों के दाम प्रस्थापित करना, मिलोंके मासिक बिक्री कोटे को पुन: प्रस्थापित करना, इथोनोल को अधिकतम किमत प्राप्त कर तेल विपणन कंपनीयों के लिए १०% इथनोल मिश्रित पेट्रोल कि योजना है. भूतपूर्व केंद्रीय कृषिमंत्री श्री शरद पवारजी और प्रधानमंत्री कार्यालय के उच्च अधिकारयों के साथ जो १५ मई को बैठक हुवी उसीके साथ इस पॅकेज कि शुरुवात कि बाते होने लगी। जब कर्नाटक विधानसभा चुनाव वातावरण जोर पकड़ रहाथा उसी समय इस प्रस्ताव कि चर्चा हो रही थी। ३० लक्ष बफर टन इस प्रस्त्ताव को केंद्रीय खाद्य मंत्री राम विलास पासवान ने ३१ मई को स्वीकार किया- ईसी के साथ कीमतों में वृधि होने लगी. इस महीने के अंत तक महाराष्ट्र में दर २,७५० प्रति क्विंटल तक रहने के आसार है।
जून ६ के दिन केंद्रीय मंत्रिमंडल ने इस पॅकेज को स्वीकार करने के साथ- जिसमे ३०ल.टन बफर स्टॉक कर- प्रति किलो २९ रु कारखानों के दर तय किया, महीने के बिक्री कोटा को लागू कर – इसीके साथ S -३० के दाम २९०० प्रति क्विंटल तक पंहुँच चुके है। इसके बात इसमें बढ़ोतरी होकर दाम रु. ३,१७५ तक बढे है। ६६०रु प्रति क्विंटल के बढ़ोतरी इसी तीन सप्ताह में हवी है, उतर प्रदेश में जो मिले अबतक प्रति प्क्विंटल रु.२५००- २,५२० का दाम दे रहे थे, वही अब ३,३००-३,३५० प्रति क्विंटल दाम दे रहें है।