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लखनऊ : चीनी मंडी
लोकसभा चुनाव के चलते युपी में राजकीय माहोल काफी गरमाया है, तो दूसरी ओर अप्रैल माह आधा बीतने के बाद भी खेतों में अभी भी पेराई योग्य करीब डेढ़ करोड़ क्विंटल गन्ना बचा है। जिससे किसानों के गुस्से का तापमान भी दिनोंदिन बढ़ता जा रहा है। चुनाव के बीच किसानों की आवाज़ सुनने में किसी भी दल ने रूचि नही दिखाई है, जिससे गन्ना उत्पादक किसान काफी नाराज है। मेरठ के किसानों की इस नाराजी का खामियाजा राजकीय दलों को चुनाव में भुगतना पड़ सकता है।
बढ़ते पारे और मिलों के बंद होने की सूचना के बीच किसानों में गन्ना डालने की होड़ मची है। बड़े किसान जहां सेंटरों पर एडवांस गन्ना डालने में लगे हैं तो वहीं तौल बंद होने से छोटे किसान पर्ची के बाद भी गन्ना नहीं डाल पा रहे हैं। इस अफरातफरी के बीच गन्ना विभाग के अधिकारियों का कहना है कि, खेतों में खड़े अवशेष गन्ना लेने तक कोई भी मिल बंद नहीं होने दी जाएगी।
अप्रैल के पहले सप्ताह तक अमूमन हर पेराई सत्र का समापन हो जाया करता था, लेकिन पिछले दो पेराई सत्र से बढ़े गन्ना रकबा और उत्पादन के चलते मिले मई माह तक चलानी पड़ रही है। पिछले साल देरी से शुरू हुई मोहिउद्दीनपुर शुगर मिल तो 15 जून तक चली थी। चालू पेराई सत्र में भी अप्रैल आधा बीत चुका है, लेकिन खेतों में हर तरफ गन्ना ही गन्ना नजर आ रहा है। पारा 40 डिग्री की तरफ बढ़ने लगा है और गन्ना छिलाई में लगे मजदूर गेहूं कटाई के लिए जाने लगे हैं। ऐसे में किसानों को संपूर्ण गन्ना आपूर्ति नहीं होने का डर सताने लगा है। गर्मी और गन्ना छिलाई से बचने के लिए किसानों के बीच जल्द से जल्द गन्ना आपूर्ति के लिए घमासान शुरू हो चुका है।
राज्य सरकार ने गन्ना आपूर्ति को लेकर मची इस अफरातफरी को खत्म करने के लिए संपूर्ण गन्ना खरीद होने तक कोई भी मिल बंद नहीं होने देने की बात कही है। इसके लिए गन्ना आयुक्त कार्यालय से नोडल अधिकारी भी तय कर दिए है जो खेतों मे खड़े गन्ने का हर रोज जायजा लेंगे। मेरठ मंडल में करीब डेढ़ करोड़ क्विंटल गन्ना बाकी है। सबसे ज्यादा गन्ना मलकपुर, दौराला, सिंभावली और मवाना मिल के पास बचा है। सकौती, मोहिउद्दीनपुर और अनूपशहर आदि मिलों का पेराई सत्र लगभग खत्म होने की कगार पर है।