गन्ना किसानों को रेडरॉट रोग को बेहद गंभीरता से लेना चाहिए: जिला गन्ना अधिकारी

सहारनपुर, उत्तर प्रदेश: सहारनपुर में भी रेड रॉट का प्रकोप देखने को मिल रहा है। अब तक जनपद में गन्ना विभाग और चीनी मिल द्वारा कराए गए एक सर्वे में देवबंद क्षेत्र में 120 बीघा से अधिक गन्ने की फसल रेड रॉट रोग से ग्रसित पाई गई। यह रोग गन्ना खासकर को- 0238 प्रजाति में ही दिखाई दे रहा है। प्रदेश का गन्ना विभाग पिछले कुछ सालों से किसानों को 0238 प्रजाति के गन्ना फसल की बुआई न करने की सलाह दे रहा है।

रेड रॉट एक फफूंदी जनित रोग है। इस रोग की शुरुआत में गन्ने की पत्तियों के निचले भाग के ऊपर की तरफ मध्य सिरे पर लाल रंग के धब्बे बनते हैं। इस बीमारी के लक्षण जून में दिखने शुरू हो जाते हैं। प्रभावित गन्ने को सीधा काटने पर अंदर का रंग लाल होने के साथ ही उस पर सफेद धब्बे भी दिखाई देते हैं। गन्ने को सूंघने पर सिरके या अल्कोहल जैसी गंध आती है।

‘अमर उजाला’ में प्रकाशित खबर के अनुसार, जिला गन्ना अधिकारी सुशील कुमार ने बताया कि किसानों को रेड रॉट रोग को बेहद गंभीरता से लेना चाहिए। प्रभावित गन्ने के पौधों को जड़ सहित खेत से निकालकर नष्ट कर दें। जिस स्थान से पौधों को उखाड़ा गया है वहां 10 से 20 ग्राम ब्लीचिंग पाउडर डालकर ढक दें। या 0.2 प्रतिशत थायोफेनेट मेथिल 70 डब्लूपी या एजॉक्सीस्ट्रोबिन 18.2 एवं डाईफेनोकोनाजोल 11.4 का घोल बनाकर ड्रेचिंग करें। बुवाई से पहले गन्ने के कटे हुए टुकड़ों

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