लखनऊ: किसान यूनियनों के नेताओं और कार्यकर्ताओं ने कृषि क्षेत्र को बजट में पूरी तरह से नजरअंदाज करने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार की खिंचाई की। मंगलवार को वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने बजट पेश किया। किसान यूनियनों के नेताओं ने कहा कि, राज्य सरकार ने केंद्र सरकार के बजटीय मॉडल का पालन किया है, जिसने किसानों के संकट को और गहरा किया है और पूरे कृषि क्षेत्र को दबा दिया है।
किसान नेता वीएम सिंह ने टाइम्स ऑफ़ इंडिया को एक इंटरव्यू के दौरान कहा कि, राज्य सरकार ने बजट में किसानों को ठग लिया। स्मार्ट सिटी परियोजना के लिए 20,000 करोड़ रुपये की जगह राज्य की बीमार चीनी मिलों को “स्मार्ट” बनाने की तत्काल आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि, उत्तर प्रदेश चीनी मिल महासंघ और निगम की लगभग दो दर्जन चीनी मिलें खराब होने वाले संयंत्र और मशीनरी के कारण बंद होने वाली हैं, जो किसानों के सामने गन्ने की फसल की खरीद की अनिश्चितता को लेकर गंभीर दुविधा पैदा करती हैं, इन मिलों के नवीनीकरण के लिए बजटीय प्रावधान के बजाय सरकार ने स्मार्ट सिटी परियोजना को प्राथमिकता दी है।
उन्होंने कहा कि, इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश के बावजूद यूपी का चीनी मिलें गन्ना किसानों को समय पर भुगतान सुनिश्चित करने में विफल रहा, लेकिन राज्य सरकार ने 40 लाख से अधिक किसानों के हितों की रक्षा के लिए आरक्षित निधि बनाने की कोई आवश्यकता महसूस नहीं की।
बजट की आलोचना करते हुए, राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) के राज्य सचिव मंजीत सिंह ने कहा कि, सरकार को राज्य में किसानों के लिए 233 करोड़ रुपयों के उर्वरकों का एक बफर स्टॉक बनाने की भी उम्मीद थी, जिन्हें हर साल कमी का सामना करना पड़ता है, औए अक्सर काले बाजार से यूरिया खरीदना पड़ता है, लेकिन वित्त मंत्री ने वह भी नजरअंदाज कर दिया।
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