नई दिल्ली,5 फरवरी: केन्द्र सरकार ग्रामीण भारत में प्रचलित उत्पादों के साथ कृषि उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए नई नीति पर काम कर रही है। योजना के पीछे सरकार का मकसद देश में निर्यात को बढावा देने के साथ स्थानीय स्तर पर रोजगार के असर बढ़ाना है। देश के अलग अलग राज्यों में कई तरह के कृषि उत्पाद पैदा होते है इन उत्पादों को व्यावसायिक रूप देने के साथ बाजार में प्रचलित करने के लिए सरकार ने राष्ट्रीय नीति पर काम करना शुरु किया है। योजना को अमलीजामा पहनाने के लिए वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय एक जिला एक निर्यात य़ोजना पर काम कर रहा है। योजना के तहत सभी राज्यों से डीपीआर रिपोर्ट ली जा रही है। इन्ही संभावनाओं में सबसे ज्यादा कृषि और कृषि आधारित उद्योगों को वरीयता दी जा रही है। कृषि में गन्ना और गन्ना से तैयार होने वाले गुड़, चीनी और खाडंसारी जैसे लघु उद्योग धन्धों पर सरकार की खास नजर है। यूपी जैसे गन्ना बहुल प्रदेश में हजारों लोगों की आजीविका गन्ना और गन्ना से तैयार लघु उद्योंगों से जुडी है। यूपी में तकरीबन 30 से भी अधिक जिलों में गन्ने की खेती होती है ऐसे में इन जिलों में एक जिला निर्यात योजना के तहत गन्ना किसानों के लिए अपना व्यवसाय बढ़ाने के साथ इनसे तैयार होने वाले उत्पादों के लिए अंतर्राष्ट्रीय बाजार की व्यवस्था करने पर सरकार का खास ध्यान है।
योजना के विषय पर मीडिया से बात करते हुए मंत्रालाय सें संबद्द निर्यात संबर्धन परिषद के क्षेत्रीय निदेशक ओपी कपूर ने कहा कि योजना के जरिए गन्ना बहुल इलाकों मे काम करने वाले कोल्हू संचालकों, गुड़ व्यापारियों, और मंडी के व्यापारियों को प्रशिक्षण देने के लिए मंत्रालय काम करेगा। इसमें आधुनिक तरीके से गुड का प्रसंकरण कर उत्पादन करने के साथ पैंकिंग और बेहतर मार्केट उपलब्ध कराने की नीति पर काम किया जाएगा। परंपरागत तरीके से तैयार होने वाले इन उत्पादों को बेहतर बाजार मिले और अच्छी कीमत मिले इसके लिए मंत्रालय कार्य कर रहा है। इसी प्रकार घरेलू स्तर पर चीनी उत्पादन करने वाले उद्यमियों और व्यापारियों के लिए भी इस तरह की व्यवस्था की जाएगी। सरकार की मंशा है कि हर जिले में कम से कम एक उत्पाद को व्यापार और कारोबार की दृष्टि से अतंर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई जाए।
एक जिला निर्यात योजना के तहत गन्ना और चीनी उद्योग को बढ़ावा देने के मसले पर बात करते हए फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट प्रमोशन ऑर्गनाइजेशन के अध्यक्ष अजय सहाय ने कहा कि इस योजना से ऊत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु, हरियाणा और बिहार जैसे राज्यों में गन्ना बहुल इलाकों के किसानों को उनके उत्पादों को एक वैश्विक ब्रांड बनाने में मदद मिलेगी। योजना से गुड़ और खांडसारी को बडे बाजार में जहां जगह मिलेगी वहीं कोल्हू चलाकर पेट पालने वाले कामगारों के रोजगार में स्थितिरता आने से उनकी आजीविका भी बढ़ोतरी होगी।
योजना के क्रियान्वयन पर बात करते हुए एसोचैम के महासचिव डीएस रावत ने कहा कि सरकार की इस पहल से गन्ना किसानों की आय बढ़ाने में मदद मिलेगी वहीं ग्रामीण स्तर पर रोजगार बढ़ने से पलायन को रोकने का काम भी होगा। रावत ने कहा कि चीनी मिलों द्वारा नहीं चुकाए जा रहे गन्ना बकाया से परेशान गन्ना किसानों के लिए ये योजना आर्थिक रूप में काफी लाभदायक साबित होगी।
योजना के लिए मंत्रालय अभी से गंभीर होकर काम कर रहा है और आने वाले दिनों में राज्यों से संवाद कर इस दिशा में ठोस नीति बनायी जाएगी जिससे देश के हर जिले में खास पहचान रखने वाले कृषि और उससे जुडे घरेलू उत्पादों के लिए देश और दुनिया में बेहतर बाजार उपलब्ध हो सके।
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