लखनऊ : चीनीमंडी
उत्तर प्रदेश में गन्ना किसान दावा करते है की उनकी गन्ना उत्पादन लागत ज्यादा है और उसके हिसाब से उन्हें कम पैसे मिलते है। राज्य के किसानों ने अब ठान लि है की, गन्ने का दाम अब वही तय करेंगे और उसी दर पर मिलों को बेचेंगे। राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन के बैनर तले राज्य के गन्ना किसान 19 अक्टूबर को बिलारी, मुरादाबाद में गन्ना हुंकार रैली करेंगे जिसमें गन्ने का दाम तय किया जायेगा।
गन्ना किसानों का मानना है की, लागत के डेढ़ गुना के आधार पर गन्ने का राज्य समर्थित मूल्य (एसएपी) 435 रुपये प्रति क्विंटल होना चाहिए, जबकि राज्य के किसानों को 325 रुपये प्रति क्विंटल का दाम भी नहीं मिल रहा है। अब किसान स्वयं अपनी गन्ने की फसल का दाम तय करने का फैसला किया है। चीनी मिलों को तय नियमों के अनुसार गन्ना खरीदने के 14 दिनों के अंदर किसानों का भुगतान करना होता है। गन्ना पेराई सीजन 2018-19, 30 सितंबर को समाप्त हो चुका है जबकि 11 अक्टूबर तक राज्य की चीनी मिलों पर 4,519.19 करोड़ रुपये बकाया है।
किसान आरोप लगते है की, सरकारी कर्मचारी की तनखाह में जहां कई गुना बढ़ोती हुई, वहीं फसलों की लागत की तुलना में न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में हुई मामूली बढ़ोतरी से किसानों की हालत और दयनीय हो गई। हालत यह है कि आज देश का किसान कर्ज में डूबा हुआ है तथा आए दिन किसी न किसी राज्य में किसान की आत्महत्या की खबर आ जाती है। किसानों को उनकी खस्ता हालात से बाहर निकालने के लिए अब खुद किसान मोर्चा संभालेंगे और अपनी फसल का मोलभाव खुदही करेंगे।
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