अंबाला : नारायणगढ़ चीनी मिल से भुगतान में देरी, टॉप बोरर और पोक्का बोइंग जैसी बीमारियों के कारण उपज के नुकसान के डर से नारायणगढ़ के गन्ना किसान चिंतित हैं। किसानों का कहना है कि, चीनी मिलों से पिछले सीजन का भुगतान पाने के लिए वे पहले से ही संघर्ष कर रहे थे, अब कीट के हमले ने उनकी मुसीबत और बढ़ा दी थी। हमें रोग को नियंत्रित करने के लिए कवकनाशी और कीटनाशकों पर अतिरिक्त पैसा खर्च करना पड़ता है, जिसके परिणामस्वरूप उत्पादन की लागत में वृद्धि होती है।
द ट्रिब्यून में प्रकाशित खबर के मुताबिक, गन्ना किसान संघर्ष समिति के अध्यक्ष विनोद राणा ने कहा, टॉप बोरर गन्ने के लिए हानिकारक है। कीटनाशक ने फसल की वृद्धि को बुरी तरह प्रभावित किया है। उन्होंने कहा, फंगीसाइड और कीटनाशकों के कई स्प्रे पर प्रति एकड़ 10,000 रुपये खर्च किए हैं, जिसके परिणामस्वरूप उत्पादन लागत में वृद्धि हुई है।
उन्होंने कहा, भुगतान में देरी भी नारायणगढ़ के किसानों के लिए एक बड़ी चिंता का विषय है। सरकारी अधिकारियों द्वारा मिल चलाए जाने के बावजूद, किसानों को अपना भुगतान प्राप्त करने के लिए इंतजार करने को मजबूर होना पड़ा है। नारायणगढ़ एसडीएम को मिल के सीईओ का प्रभार दिया गया है। सरकार को एक स्थायी सीईओ नियुक्त करना चाहिए और मिल का समय पर संचालन सुनिश्चित करना चाहिए।
कृषि विकास अधिकारी हरीश कुमार ने कहा, कुछ क्षेत्रों में गन्ने में टॉप बोरर और पोक्का बोएंग की सूचना मिली है, लेकिन स्थिति नियंत्रण में है। Co0238 किस्म में प्रमुख प्रभाव देखा गया है। किसानों को कीटों के हमले को नियंत्रित करने के लिए सुझाव दिए जा रहे हैं।