ट्रेंच विधि से गन्ना खेत की सिंचाई करनी चाहिए: कृषि वैज्ञानिक डॉ विकास मलिक

बागपत : कृषि वैज्ञानिक डॉ विकास मलिक ने कहा कि, ट्रेंच विधि से खेत की सिंचाई करनी चाहिए। किसान गन्ने की फसल में संतुलित उर्वरकों का प्रयोग करें। अधिक उर्वरकों का प्रयोग करने से फसल को तो नुकसान होगा ही। साथ ही मनुष्य के स्वास्थ्य पर भी बुरा प्रभाव पड़ेगा। गन्ने में लगने वाली मुख्य बीमारी रेड रोट व मुख्य कीट टॉप बोर से गन्ने की फसल को बचाने के लिए फसल की देखभाल करते रहें। गन्ने की फसल में लगने वाली बीमारी रेड रोट का पूर्वी उत्तर प्रदेश के साथ ही पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भी खतरा बढ़ रहा है।

कृषि विज्ञान केंद्र में आयोजित एक दिवसीय कार्यशाला में वैज्ञानिकों ने किसानों को रेड रोट, टॉप बोर से गन्ने की फसल बचाने और उत्पादकता बढ़ाने की जानकारी दी।कार्यशाला का शुभारंभ मुख्य अतिथि जिला गन्ना अधिकारी अनिल कुमार भारती ने फीता काटकर किया।इस रोग के लगने पर भविष्य में गन्ने की उत्पादकता के साथ ही रिकवरी भी प्रभावित होगी। इससे बचाव के लिए फसल में प्रजाति का बदलाव करने के साथ ही चार किलोग्राम प्रति एकड़ ट्राइकोडर्मा का बुवाई के समय प्रयोग करें। पश्चिम उत्तर प्रदेश के अधिकांश क्षेत्रफल में टॉप/अगोला बेधक कीट का भी प्रकोप अत्यधिक देखा जा रहा है। इस कीट से फसल को बचाने के लिए ट्राइको कार्ड का खेतों में प्रयोग करने से कीट प्रबंधन किया जा सकता है। इस दौरान केंद्र प्रभारी डॉ लक्ष्मीकांत, किसान योगेंद्र डबास, राम सेवक, जगबीर सिंह, मुकेश मलिक, एस के त्यागी, डा कुलदीप पिलानिया, नरेश कुमार, अनमोल राठी, धर्मपाल सिंह आदि किसान मौजूद रहे।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here