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लखनऊ : चीनी मंडी
उत्तर प्रदेश में चुनावी सरगर्मी में गन्ना किसानों की मुसीबतों को सत्ताधारी भाजपा के साथ साथ विपक्षी दलों ने भी दरकिनार कर दिया है। पहले ही किसान गन्ना पेमेंट को लेकर परेशान है, अब गन्ना खेतों में खड़ा है और कई सारी मिलों ने पेराई खत्म कर दी है। ऐसे में खेतों में खड़े गन्ने का क्या करे? इस सवाल से किसान काफी चिंतित है। भीषण गर्मी में भी गन्ना खेत में ही खड़ा है। गन्ना सूख रहा है, क्रय केंद्रों पर गन्ने से लदी ट्रालियां खड़ी हैं। अधिकारी चुनाव में बिजी हैं और किसान परेशान हैं। कागजों में तो गन्ना खत्म दिखाया जाने लगा है, लेकिन खेतों में खड़ा गन्ना दावों की पोल खोल रहा है।
हरदोई जिले में 78 हजार हेक्टेयर गन्ने की फसल थी। जिसे तीन चीनी मिलों को पेराई करनी थी। कहने को तो पर्ची नियम से भेजी गईं लेकिन हकीकत में एक एक पर्ची के लिए किसान परेशान घूमते रहे। गन्ना विभाग के आंकड़ों के अनुसार करीब तीन करोड़ 27 लाख कुंतल गन्ना पेराई हो चुकी है और मात्र 35 लाख कुंतल ही गन्ना खेतों में बचा है पर हकीकत तो सरकारी आकड़ों से परे है। जिधर नजर दौड़ाओ खेतों में गन्ना खड़ा दिख रहा है, पर अधिकारियों को नहीं दिख रहा।
गन्ना किसानों की समस्याएं सुनने के लिए आनलाइन शिकायत निस्तारण की व्यवस्था की गई पर वहाँ भी अधिकारी शिकायतों के निस्तारण में रुचि नहीं ले रहे हैं। विभागीय आंकड़ों की मानें तो हरियावां शुगर मिल के अंतर्गत कुल 500 से ज्यादा शिकायतें प्राप्त हुई, जिनमें से 48 का ही समाधान हो सका 480 से जादा लंबित है। इसके अलावा लोनी शुगर मिल के अंतर्गत 263 शिकायतें दर्ज है जिनमें से एक भी शिकायतों का निस्तारण नहीं कराया गया। रूपापुर शुगर मिल के अंतर्गत 260 शिकायतें प्राप्त हुई जिनमें से महज 10 शिकायतों का निस्तारण ही कराया जा सका। इन शिकायतों में पर्ची से संबंधित 162 शिकायतें हैं जिनमें से सात शिकायत निस्तारित हुई।
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