नई दिल्ली: सोसाइटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स (SIAM) ने अपनी जैव पहल के तहत विश्व जैव ईंधन दिवस 2024 पर तीसरे अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन की मेजबानी की, जिसका विषय था “दि बायोफ्यूल रिवोल्यूशन इन इंडिया: फुएलिंग टुमारो’। सम्मेलन में भारत के सतत ऊर्जा में परिवर्तन में जैव ईंधन के महत्व और ऑटोमोटिव उद्योग के लिए उनके व्यापक निहितार्थों की जांच की गई।
सम्मेलन में, भारतीय चीनी और जैव ऊर्जा निर्माता संघ (ISMA) के अध्यक्ष मांडव प्रभाकर राव ने कहा, पानी और भूमि उपयोग के मामले में गन्ना सबसे कुशल फसल है। एथेनॉल में परिवर्तित होने वाले गन्ने का प्रतिशत केवल 15% है, लेकिन यदि हिस्सेदारी 10% बढ़ा दी जाए, तो भारतीय गन्ना उद्योग देश की एथेनॉल मांग के 55% की जिम्मेदारी उठा सकेगा।
भारत सरकार के पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय में संयुक्त सचिव रोहित माथुर ने कहा, हम अगले पांच वर्षों में जैव ईंधन को बढ़ावा देने और घरेलू संसाधनों का पूरा उपयोग करने के साथ ही पर्याप्त प्रगति की उम्मीद करते हैं। एथेनॉल कार्यक्रम किसानों की सहायता कर रहा है, विदेशी मुद्रा बचा रहा है और पारिस्थितिकी तंत्र को बेहतर बना रहा है। हम एथेनॉल उत्पादन बढ़ाने के लिए उन्नत जैव ईंधन में निवेश को प्रोत्साहित करते हैं और फ्लेक्स-फ्यूल और एथेनॉल प्रतिशत के बारे में जनता को शिक्षित करने के लिए व्यापक जागरूकता अभियान के महत्व पर प्रकाश डालते हैं।
इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन के निदेशक सुजॉय चौधरी ने भारत में न्यायसंगत और टिकाऊ जैव ईंधन विकास के महत्व पर जोर दिया।उन्होंने कहा, तेल निर्माण कंपनियों ने जैव ईंधन संक्रमण का समर्थन करने के लिए अपनी भंडारण क्षमता को दस गुना बढ़ा दिया है।आज, एथेनॉल को पाइपलाइनों, रेलवे और सड़क मार्गों के माध्यम से ले जाया जाता है।