लोकसभा चुनाव से इस साल का सीजन ख़त्म होने वाला है। इसलिए गन्ना किसानों के समस्या को लेकर स्वाभिमानी पक्ष के खासदार राजू शेट्टी रास्ते पर उतरकर आंदोलन करने की सम्भावना है।
गाय के दूध खरेदी दाम में कटौती करने के बाद उत्पादकों कुछ फ़ायदा नहीं मिल रहा था। यह बात जानकर शेट्टी इन्होने दूध के दाम बढ़ाने के लिए आंदोलन किया। इस आंदोलन को सफलता मिली। आने वाला सीज़न शेट्टी के लिए मत्त्वपूर्ण है। इस साल केंद्र सरकार ने गन्ने की एफआरपी की कीमत तय करते समय बेसिक रिकव्हरी ९.५% से १०% की गयी। इसे पहले से ही शेट्टीने विरोध दर्शाया था। इस निर्णय से किसानों को नुकसान होगा। न्यूनतम प्रति टन १४० रुपयों का नुकसान किसानों को होगा। यही बात को लेकर शेट्टी इस सीज़न में आंदोलन करने की आशंका है।
बेसिक रिकव्हरी के साथ चीनी की न्यूनतम कीमत निश्चित होने के बाद पहले हप्ते में भी बढ़ोतरी करे यह मांग होने वाली है। पिछले सीज़न में पहले हप्ते को ३४०० रुपयों की मांग हो सकती है, समझोते के बाद एफआरपी अधिक प्रति टन २०० रूपये ऐसा रास्ता निकाला गया। लेकिन चीनी के दाम में कटौती होने के वजह से दो-तीन महीने में ही प्रति टन २५०० रूपये कीमत उत्पादक को मिली। अब पिछले सीज़न की एफआरपी कितनी बाकी है इसका सर्वेक्षण शेट्टी करेंगे। बढ़ाई हुई एफआरपी को लेकर किसान खुश है लेकिन किसानों की बकाया राशि कितनी है यह देखकर शेट्टी अपनी रणनीति तय करेंगे।
इस साल ज्यादा गन्ना उत्पादन होने वाला है, इस लिए सरकार अक्टूबर से ही सीज़न शुरू करने के तयारी में लगी है। चीनी उत्पादन करने वाले सभी राज्य में यही प्रश्न है। और दूसरी तरफ एफआरपी बढ़ाई तो चीनी की न्यूनतम कीमत भी बढ़ाने की उद्योग की मांग है। एफआरपी तय करते समय जो चीनी का दाम होता है वही समान दाम रहे ऐसी उद्योग की मांग है। अन्यथा सीज़न नहीं लेंगे ऐसा इशारा उद्योग ने पहले ही दिया है। इस मुद्दे को लेकर चीनी मिल विरुद्ध सरकार ऐसा संघर्ष होने की सम्भावना है। चीनी को न्यूनतम प्रति क्विंटल ३००० से ३५०० रूपये दाम मिले यह उद्योग की मांग है।