बाराबंकी: चीनी उद्योग में टेक्नोलोजी के इस्तेमाल से काफी चीजें आसान हो गई हैं। इस उद्योग में गन्ना किसानों के लिए राज्य सरकार ने ई-गन्ना ऐप थोड़े महीने पहले लांच किया था। इस पर रजिस्टर्ड किसानों को अब फायदा मिलने लगा है। किसानों को पहली बार इस ऐप के माध्यम से समय पर उनके गन्ने का पेमेंट 14 दिन के भीतर मिला है। बाराबंकी के गन्ना किसान खुश हैं क्योंकि उनके 13 जनवरी तक के तौल के गन्ने के पैसे उनके खातों में पहुंच चुके हैं। जिले के किसानों को 53 करोड़ रुपए चूका दिये गए हैं।
ई-गन्ना ऐप का किसान खुलकर तारीफ करने लगे हैं। उन्होंने कहा कि वे अपने गन्ने का समय पर पैसा मिलने काफी खुश हैं। पहले हमें काफी परेशानी होती थी। लंबे समय तक हमारा पैसा नहीं मिलता था। चीनी मिलें उसपर ब्याज भी नहीं चुकाती थीं।
बाराबंकी जिले के गन्ना अधिकारी रत्नेश्वर त्रिपाठी ने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने किसानों का पूरा ध्यान रखा है। उनकी प्रेरणा से ईआरपी और ई-गन्ना ऐप डेवलप किया गया ताकि किसान नई टेक्नोलोजी से अवगत रहे। पहले गन्ना से संबंधित सर्वे, सट्टा और कैलेंडरिंग जैसी सारी प्रक्रिया चीनी मिलों के द्वारा अलग-अलग स्तर पर की जाती थी, लेकिन इस ऐप के माध्यम से गन्ना किसानों के सारे डेटा देखे जा सकते हैं। अब कोई बी किसान इस ऐप के द्वारा अपना डाटा देख सकता है और किसी भी त्रुटि कि दशा में अपने नजदीकि समिति पर संपर्क करके उसे ठीक करा सकते हैं।
उत्तर प्रदेश के कई जिलों में गन्ना किसानों के करोड़ों रुपए चीनी मिलों में फंसे पड़े हैं। मुख्यमंत्री योगी उनके हित में नित नए प्रयास कर रहे हैं ताकि किसानों के पैसे वापस मिले। योगी ने चीनी मिलों को भी सख्त हिदायत दी है कि वे गन्ना किसानों के पेमेंट चुकाने में कोताही न बरतें।