नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव के मद्देनजर, उत्तर प्रदेश में अहम भूमिका निभाने वाले गन्ना किसानों को राजनैतिक पार्टिया खुश करने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ रही है। विपक्षी दल गन्ना मूल्य और अन्य मुद्दों को लेकर आक्रामक नजर आ रही है। लेकिन सरकार भी अपनी उपलब्धिया किसानों के सामने रख रही है।
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने सरकार पर आरोप लगाया की, उत्तर प्रदेश सरकार ने गन्ना मूल्य केवल 360 रुपये प्रति क्विंटल तक बढ़ा दिया है, जो यूपी के किसानों के लिए बेहद अपर्याप्त है। यह नवीनतम मूल्य वृद्धि मुद्रास्फीति से काफी पीछे है और पंजाब के 386 रुपये प्रति क्विंटल और हरियाणा के 391 रुपये प्रति क्विंटल से कम है। सहारनपुर में प्रधानमंत्री की रैली से पहले कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने प्रधानमंत्री से तीन सवाल पूछे जिनमें एक सवाल सहारनपुर के लकड़ी-नक्काशी उद्योग पर भी था। रमेश ने एक्स पर कहा, आज, पीएम मोदी उत्तर प्रदेश के सहारनपुर का दौरा करेंगे, जहां डबल इंजन सरकार में ईंधन की खतरनाक कमी है।
Today, PM Modi visits Saharanpur in Uttar Pradesh, a state where the double-engine sarkar is running dangerously low on fuel. Before the engine comes to a sputtering halt on June 4th, we hope the PM can answer these three questions on why the machinery is breaking down:
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— Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) April 6, 2024
उन्होंने कहा की यूपी योजना आयोग के पूर्व सदस्य सुधीर पंवार ने टिप्पणी की, यूपी में, SAP, जो पहले इनपुट लागत द्वारा निर्धारित किया जाता था, अब चुनाव कार्यक्रम द्वारा तय किया जाता है’; क्या पीएम हमें बता सकते हैं कि क्यों भाजपा सरकार किसानों को उनके काम का उचित मुआवजा देने में अनिच्छुक रही है?उन्होंने दावा किया कि, कार्रवाई के बार-बार वादे के बावजूद, यूपी सरकार आवारा मवेशियों की बढ़ती समस्या का समाधान करने में विफल रही है। उन्होंने कहा, पर्याप्त पशु आश्रयों की कमी के कारण पशुपालक अपने पशुओं को छोड़ कर उनकी देखभाल करने से बचते हैं।
आपको बता दे, हालही में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा था की, पिछली सरकारों ने किसानों का गन्ना भुगतान रोका जबकि भाजपा ने कई बंद पड़ी चीनी मिलों को फिर से शुरू किया। साथ ही नई चीनी मिलों का भी निर्माण किया, जिसका फायदा प्रदेश के लाखों गन्ना किसानों को हो रहा है। विपक्षी दलों पर हमला करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि पिछली सरकारों के विपरीत जहां किसानों को गन्ने का भुगतान पांच से 10 साल तक की लंबी अवधि तक विलंबित किया जाता था, आज उन्हें एक सप्ताह के भीतर भुगतान किया जा रहा है।