नई दिल्ली : देश में गन्ना उत्पादन दक्षिण से उत्तर की ओर एक अलग बदलाव का अनुभव कर रहा है। एक नवीनतम National Statistical Office (NSO) की रिपोर्ट के अनुसार, उत्तरी भारत के छह गन्ना उत्पादक राज्यों ने 2011- 2020 के बीच अपने गन्ना उत्पादन मूल्य में 42 प्रतिशत की वृद्धि देखी, जबकि इसी अवधि के दौरान पांच गन्ना उत्पादक दक्षिणी राज्यों के उत्पादन मूल्य में 32.4 प्रतिशत की गिरावट आई। NSO रिपोर्ट से पता चलता है कि बिहार, हरियाणा, पंजाब, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में गन्ने का संचयी उत्पादन मूल्य पिछले दशक में 302.16 अरब रुपये से बढ़कर 429.2 अरब रुपये हो गया है। इस बीच, पांच दक्षिणी गन्ना उत्पादक राज्यों आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, तेलंगाना, तमिलनाडु और महाराष्ट्र में गन्ना उत्पादन इसी अवधि में 268.23 अरब रुपये से घटकर 181.19 अरब रुपये हो गया है।
इंदिरा गांधी विकास अनुसंधान संस्थान (IGIDR) निदेशक महेंद्र देव ने कहा की, गन्ना उत्पादन में यह उत्तरोत्तर बदलाव उत्तर में बड़े सिंचित क्षेत्र और उच्च राज्य सलाहकार मूल्य (एसएपी) के कारण है। हालांकि महाराष्ट्र देश का प्रमुख चीनी उत्पादक राज्य है। देव के अनुसार, उत्तर प्रदेश जैसे राज्य पिछले एक दशक से लगातार गन्ने के लिए उच्च SAP की पेशकश कर रहे हैं। कर्नाटक और तमिलनाडु सहित दक्षिणी राज्य SAP से दूर हो गए हैं और राजस्व बंटवारे के मॉडल को अपनाया है। इसके अलावा, वे (दक्षिणी राज्य) अपने पानी को अन्य उच्च मूल्य वाली फसलों की ओर मोड़ रहे है।