कोल्हापूर : चीनी मंडी
गन्ना कटाई भुगतान में बढ़ोतरी, कल्याणकारी बोर्ड की स्थापना और गन्ना कटाई मजदूरों को भविष्यनिर्वाह निधी आदि मांगो को लेकर १ अक्तूबर कोल्हापूर के विभागीय चीनी सहसंचालक कार्यालय पर गन्ना कटाई मजदूर और ट्रान्सपोर्टर्स की ओर से मोर्चाबंदी करने का ऐलान महाराष्ट्र गन्ना कटाई एवम ट्रांसपोर्ट वर्कर्स यूनियन के नेता डॉ. शुभाष जाधव ने प्रेस कोन्फेरेंस में किया ।
महाराष्ट्र में चीनी उद्योग में गन्ना कटाई करनेवाले मजदूरों का एक बढ़ा तबका है, उन्होंने सरकार और चीनी मिलों के सामने उनकी मांगे रखी है, यह मांगे गन्ना सिझन के शुरू होने से पहले अगर पूरी नही की तो उन्होंने हड़ताल पे जाने की धमकी दी है। उसीकी तहत ये मोर्चा भी निकाला जा रहा है ।
10.75 लाख हेक्टर क्षेत्र में गन्ना फसल
महाराष्ट्र में 1 अक्टूबर से कई चीनी मिलें अपना गन्ना क्रशिंग सीझन शुरू कर सकती है । चीनी आयुक्त के अनुमान से, राज्य में 1,000 लाख टन गन्ना का क्रशिंग और 110-115 लाख टन चीनी उत्पादन होगा। सीजन की शुरुआत में मिलों को पहले कुछ महीनों के लिए कच्चे चीनी का उत्पादन करने की इजाजत मिल जाएगी, जिसका उद्देश्य मुख्य रूप से निर्यात को बढ़ावा देना है। इस साल राज्य में गन्ना क्षेत्र में वृद्धि हुई है, अब तकरीबन 10.75 लाख हेक्टर क्षेत्र में गन्ना फसल है ।
राज्य में 7-8 लाख गन्ना कटाई मजदूर
महाराष्ट्र के चीनी मिलों में गन्ना कटाई के लिए ज्यादातर मजदूर मराठवाड़ा और उत्तरी महाराष्ट् से आते हैं। ये कटाई मजदूर आदिवासी समुदायों या ओबीसी वंजारी समुदाय से हैं। यह मजदूर राज्य के सूखे प्रवण क्षेत्रों से आते हैं और गन्ना कटाई से आनेवाली आय उनके कमाई का प्रमुख जरिया है। महाराष्ट्र में चीनी मिलों ने सीजन शुरू होने से पहलेही मजदूरों के साथ वार्ता शुरू की है। यह बातचीत ठेकेदारों या मुकादमों के माध्यम से की जाती है, जिसके तहत क्रशिंग सीझन शुरू होने से पहले मजदूरों को एडवांस में राशि का भुगतान किया जाता है। मजदूरों को प्रति टन गन्ने के हिसाब से भुगतान किया जाता है। इससे तकरीबन 7-8 लाख मजदूर जुड़ें है, जो चीनी उद्योग के लिए महत्वपूर्ण हैं।
गन्ना कटाई के लिए 400 रुपये प्रति टन की मांग
महाराष्ट्र गन्ना कटिंग एंड ट्रांसपोर्ट वर्कर्स यूनियन जो सीपीआई (एम) द्वारा समर्थित भारतीय ट्रेड यूनियन (सीआईटीयू) से संबद्ध है, उन्होंने गन्ना कटाई भुगतान में वृद्धि के साथ-साथ उनके लिए कल्याण बोर्ड के संविधान की मांग की है। वर्तमान के 198 रुपये प्रति टन से भुगतान में वृद्धि के लिए 400 रुपये प्रति टन की मांग की है।
कल्याण बोर्ड स्थापना की दीर्घकालिक मांग
कल्याण बोर्ड की स्थापना गन्ना मजदूरों की दीर्घकालिक मांग रही है, जो इस तरह के बोर्ड का दावा करते हैं कि इस क्षेत्र के लिए कल्याणकारी नीतियों को निर्देशित करने में मदद मिलेगी। कराड ने दावा किया कि, बार-बार मांग करने के बावजूद भी बोर्ड कार्यात्मक नहीं रहा है। उन्होंने कहा, “हमारी किसी भी मांग को पूरा करने के लिए संघ और राज्य सरकार की विफलता को ध्यान में रखते हुए, हमने हड़ताल पर जाने का फैसला किया है।” उन्होंने कहा, “हमें उम्मीद है कि फेडरेशन अगले हफ्ते जवाब देगा, अन्यथा मिलों को समस्या का सामना करना पड़ेगा।”