नई दिल्ली: कृषि मंत्रालय द्वारा शुक्रवार को जारी आंकड़ों के अनुसार, भारत में ग्रीष्मकालीन फसलों के लिए अंतिम क्षेत्र में साल-दर-साल मामूली रूप से गिरावट आई है। पिछले साल यह 72.28 लाख हेक्टेयर थी, जबकि इस साल दो प्रतिशत कम 70.74 लाख हेक्टेयर पर ग्रीष्मकालीन फसल है। कृषि मंत्रालय के आंकड़ों से पता चला है कि, दलहन और मोटे अनाज का बुवाई क्षेत्र साल-दर-साल अधिक है, जबकि चावल और तिलहन का रकबा कम है।दालों और मोटे अनाजों की बात करें तो रकबा 19.11 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 19.86 लाख हेक्टेयर और 11.73 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 12.10 लाख हेक्टेयर हो गया है।
चावल और तिलहन का क्षेत्र क्रमशः 30.33 लाख हेक्टेयर से घटकर 28.51 लाख हेक्टेयर और 11.11 लाख हेक्टेयर से घटकर 10.26 लाख हेक्टेयर रह गया है।हरा चना, ज्वार, बाजरा, रागी, मक्का, मूंगफली, सूरजमुखी, और तिल कुछ प्रमुख ग्रीष्मकालीन फसलें हैं। भारत में तीन फसली मौसम होते हैं – ग्रीष्म, खरीफ और रबी।अक्टूबर और नवंबर के दौरान बोई जाने वाली फसलें और परिपक्वता के आधार पर जनवरी-मार्च में काटी जाने वाली फसल रबी होती है। जून-जुलाई में बोई जाने वाली और अक्टूबर-नवंबर में काटी जाने वाली फसलें खरीफ होती हैं। रबी और खरीफ के बीच उत्पादित फसलें ग्रीष्मकालीन फसलें होती हैं।
इस बीच, कृषि वर्ष 2022-23 के लिए प्रमुख फसलों के उत्पादन के तीसरे अग्रिम अनुमान में कुल खाद्यान्न उत्पादन रिकॉर्ड 330.5 मिलियन टन होने का अनुमान लगाया गया है, जो पिछले वर्ष 2021-22 की तुलना में लगभग 15 मिलियन टन अधिक है। विभिन्न फसलों के उत्पादन का आकलन राज्यों से प्राप्त फीडबैक पर आधारित है।