कोल्हापुर: सरकार ने ‘एक राष्ट्र, एक बाजार’ की नीति अपनाई है। इसमें सभी कृषि उत्पाद और फसल शामिल है। तो फिर महाराष्ट्र के ‘ट्रिपल इंजन’ राज्य सरकार ने यह फैसला कैसे लिया कि महाराष्ट्र का गन्ना पड़ोसी राज्यों को निर्यात नहीं किया जाएगा? ऐसा सवाल स्वाभिमानी शेतकरी संगठन के संस्थापक, पूर्व सांसद राजू शेट्टी ने उठाया है। शेट्टी ने अपना रुख़ स्पष्ट करते हुए कहा की, हम राज्य सरकार के आदेश को गन्ने के खेत में दफना देंगे और गन्ना वहीं भेजेंगे, जहां हमें अच्छी कीमत मिल सके। शेट्टी ने राज्य सरकार को चुनौती दी कि, अगर हिम्मत है तो गन्ना भेजने से रोक कर दिखाओ। आपको बता दे की, ‘चीनीमंडी’ ने सबसे पहले ‘महाराष्ट्र से बाहरी राज्यों में गन्ने के निर्यात पर रोक’ यह खबर आपको बताई थी, जिसके बाद पूरे राज्य में खलबली मच गई है।
पूर्व सांसद शेट्टी ने आगे कहा कि, या तो राज्य सरकार यह घोषणा करे कि हम केंद्र सरकार की नीति में विश्वास नहीं करते हैं या फिर बाहरी राज्यों में गन्ना निर्यात पर प्रतिबंध लगाने का आदेश वापस ले लें। उन्होंने कहा, क्या वाकई सरकार को ऐसे फैसले लेने का अधिकार है? राज्य सरकार को इस पर आत्ममंथन करना चाहिए। हमारे बार-बार फॉलोअप के बावजूद हमें चीनी मिल मालिकों से पिछले तीन वर्षों का लेखा-जोखा नहीं मिल सका है। अगर वह हिसाब लगाया जाता तो किसानों को एफआरपी से ज्यादा पैसा मिलता। ऐसी राज्य सरकार को यह कहने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है कि, पड़ोसी राज्य को गन्ना नहीं भेजा जाना चाहिए।
शेट्टी ने आगे कहा कि, पड़ोसी राज्य कर्नाटक सरकार ने 9 नवंबर, 2022 को एक आदेश जारी किया था कि डिस्टिलरी वाली फैक्ट्रियों को एफआरपी से ज्यादा भुगतान करना चाहिए और बिना डिस्टिलरी वाली फैक्ट्रियों को एफआरपी और 150 रुपये अतिरिक्त भुगतान करना चाहिए।उस आदेश को बैंगलोर उच्च न्यायालय ने भी बरकरार रखा था। महाराष्ट्र सरकार ने गन्ना किसानों के लिए क्या किया है? राज्य सरकार ने कानून के तहत किसान को मिलने वाली एफआरपी में कटौती करने का पाप किया है। शेट्टी ने कहा कि, भले ही राज्य सरकार ने मिल मालिकों के पक्ष में फैसला लिया है, लेकिन हम केवल उसी मिल को गन्ना सप्लाई करेंगे जो हमें सबसे ज्यादा रेट देगी।