नई दिल्ली: E20 लक्ष्य को पूरा करने के लिए केंद्र सरकार ने एथेनॉल उत्पादन बढ़ाने पर जोर दिया है, और एथेनॉल के लिए वैकल्पिक फीड स्टॉक विकसित करने के प्रयास में गन्ने के साथ मीठी ज्वार (स्वीट सोरघम) की इंटरक्रॉपिंग को बढ़ावा दिया जा रहा है। मीठी ज्वार की एथेनॉल समिश्रण के लिए मांग बढ़ने और इंटरक्रॉपिंग से किसानों की आय बढ़ सकती है। किसानों को मीठी ज्वार की अलग से खेती करने की जरूरत नही है, यह फसल गन्ने में इंटरक्रॉपिंग की जा सकती है। एक ही खेत में मीठी ज्वार और गन्ना उगाने से गन्ना किसानों को एक ही खेत से अधिक आय प्राप्त करने में मदद मिलेगी। गन्ना किसान की प्रति हेक्टेयर आय में 35% की वृद्धि होने की उम्मीद है, जबकि एथेनॉल उत्पादन क्षमता में भी लगभग 30% की वृद्धि होने का अनुमान जताया जा रहा है।
मक्का, मीठी ज्वार की मांग बढ़ी….
वर्तमान में, भारत के पास 1,082 करोड़ लीटर एथेनॉल (निर्माणाधीन संयंत्रों सहित) का उत्पादन करने की क्षमता है इस क्षमता में से 723 करोड़ लीटर मोलासिस आधारित इकाइयों से और 359 करोड़ लीटर अनाज आधारित संयंत्रों से आता है। जबकि 20 प्रतिशत सम्मिश्रण लक्ष्य को पूरा करने के लिए लगभग 1,016 करोड़ लीटर एथेनॉलकी आवश्यकता है, और अन्य उपयोगों के लिए लगभग 334 करोड़ लीटर एथेनॉल की आवश्यकता होगी इसके लिए लगभग 1,700 करोड़ लीटर एथेनॉल उत्पादन क्षमता के प्लांट्स की आवश्यकता होगी, अगर प्लांट्स अपनी कुल क्षमता के 80 प्रतिशत क्षमता के साथ काम करे तो। 2025 तक 20 प्रतिशत एथेनॉल सम्मिश्रण लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए, अनाज आधारित परियोजनाओं से एथेनॉल का आधा उत्पादन होना आवश्यक है। इसके चलते अब मक्का के साथ साथ मीठी ज्वार की खेती पर फोकस किया जा रहा है।
NSI ने बलरामपुर और डालमिया भारत से मिलाया हाथ…
राष्ट्रीय चीनी संस्थान (NSI) ने एथेनॉल उत्पादन बढ़ाने के लिए वैकल्पिक फीड स्टॉक विकसित करने के प्रयास में प्रमुख चीनी समूहों, बलरामपुर चीनी मिल्स लिमिटेड और डालमिया भारत शुगर मिल्स लिमिटेड के सहयोग से गन्ने के साथ मीठी ज्वार (स्वीट सोरघम) की इंटरक्रॉपिंग के लिए परीक्षण करने के लिए हाथ मिलाया है। गन्ने की बुआई की दो पंक्तियों के बीच गन्ने की फसल के साथ मीठी ज्वार की अंत:फसल के लिए परीक्षण किया है। इन चीनी कंपनियों की मदद से गोंडा और शाहजहाँपुर जिलों में मीठी ज्वार उगाई जा रही है।
मीठी ज्वार की पांच किस्मों का परीक्षण…
मीठी ज्वार की पांच किस्मों, CSH22SS, SS74, SS84, फुले वसुंधरा और ICSSH28 का परीक्षण, ICAR इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मिलेट्स रिसर्च, हैदराबाद द्वारा किया गया था। जिसमे मीठी ज्वार की औसत उपज 50-55 टन / हेक्टेयर और एथेनॉल उत्पादन लगभग 45-50 लीटर / मीट्रिक टन होने का संकेत दिया था।