चेन्नई: द न्यू इंडियन एक्सप्रेस में प्रकाशित खबर के मुताबिक, मद्रास उच्च न्यायालय की मदुरै पीठ ने एक जनहित याचिका (पीआईएल) पर अधिकारियों को नोटिस देने का आदेश दिया है, जिसमें अधिकारियों को गन्ना एफआरपी के विलंबित भुगतान के लिए ब्याज राशि का भुगतान करने का निर्देश देने की मांग की गई है।
न्यायमूर्ति एस.एस. सुंदर और न्यायमूर्ति डी. भरत चक्रवर्ती की खंडपीठ ने तंजावुर जिले के स्वामीमलाई सुंदरा विमल नाथन द्वारा दायर याचिका पर अधिकारियों से जवाब मांगा। उन्होंने गन्ना (नियंत्रण) आदेश, 1966 के खंड 3-ए के तहत तंजावुर, थेनी, तिरुचि, शिवगंगा और मदुरै जिलों में संचालित सहकारी क्षेत्र, सार्वजनिक क्षेत्र और निजी क्षेत्र सहित चीनी मिलों द्वारा देय 2017-2018 से 2022-2023 तक के भुगतान की मांग की।
गन्ना (नियंत्रण) आदेश, 1966 के खंड 3 के अनुसार चीनी मिलों को गन्ना खरीद की तारीख से 14 दिनों के भीतर गन्ना भुगतान करना आवश्यक है। खंड 3-ए के अनुसार, बशर्ते कि यदि चीनी मिलें डिलीवरी की तारीख से 14 दिनों के भीतर खरीदे गए गन्ने का भुगतान करने में विफल रहती हैं, तो चीनी मिलें देय राशि पर 15% प्रतिवर्ष की दर से ब्याज का भुगतान करेंगी। उन्होंने कहा कि, इस तरह की देरी की अवधि 14 दिन से अधिक है।