तमिलनाडु: पश्चिमी क्षेत्र के गन्ना किसानों को अमरावती सहकारी चीनी मिल शुरू होने की उम्मीद

कोयंबटूर : तिरुपुर जिला प्रशासन द्वारा किसानों को अपनी फसल का पंजीकरण उदुमलपेट में बंद पड़ी अमरावती सहकारी चीनी मिल में कराने के निर्देश के बाद पश्चिमी जिलों के गन्ना किसानों की मिल शुरू होने की उम्मीद जगी हैं। तिरुपुर प्रशासन ने पिछले सप्ताह कहा था कि, कोयंबटूर, तिरुपुर और डिंडीगुल जिलों को शामिल करने वाले मिल के कमांड एरिया के गन्ना किसान मिल को अपनी उपज की आपूर्ति के लिए अपना नाम पंजीकृत करा सकते हैं। किसानों को बताया गया है कि, उनकी उपज को दूसरी मिलों में भेजा जाएगा और पेराई की जाएगी, जैसा कि पिछले साल किया गया था।

पिछले साल 75,000 टन की खरीद के मुकाबले मिल 50,000 टन से अधिक पेराई नहीं कर पाई क्योंकि मशीनरी में खराबी आ गई थी। शेष में से 10,000 टन को दूसरी मिलों में भेजना पड़ा। इस पेराई सत्र के लिए कमांड एरिया में मौजूद पूरी उपज को दूसरी मिलों में भेजा जाना है। पिछले साल मिल के आधुनिकीकरण के लिए तैयार किए गए 160 करोड़ रुपये के प्रस्ताव को राज्य सरकार द्वारा आगे बढ़ाए जाने की उम्मीद कर रहे किसानों को निराशा हाथ लगी है।

द हिन्दू में प्रकाशित खबर के मुताबिक, आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, चूंकि मशीनरी 1955 में स्थापित की गई थी, इसलिए पिछले साल मशीनरी खराब होने पर स्पेयर पार्ट्स के अभाव में मरम्मत कार्य भी नहीं हो सका, जिसके बाद गन्ना अन्य मिलों को भेजना पड़ा। गुरुवार को किसानों के एक समूह ने मशीनरी के नवीनीकरण के लिए तत्काल धनराशि स्वीकृत करने की मांग को लेकर तिरुपुर कलेक्ट्रेट के सामने प्रदर्शन किया। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, 3,484 हेक्टेयर के साथ तिरुपुर राज्य में गन्ना खेती के मामले में दसवें स्थान पर है। उत्पादकता 117 टन प्रति हेक्टेयर है।

अमरावती सहकारी चीनी मिल में किसानों का प्रतिनिधित्व करने वाले तमिलनाडु करुम्बू विवासयिगल संगम के पदाधिकारी एम.एम. नागराजन के अनुसार, पश्चिमी क्षेत्र में उपज की 11% चीनी रिकवरी को देखते हुए, सरकार को मिल के आधुनिकीकरण को सर्वोच्च प्राथमिकता देनी चाहिए। नागराजन ने कहा कि, आधुनिक मशीनरी के साथ यह मिल भविष्य में पर्याप्त मात्रा में एथेनॉल उत्पादन के लिए एक मॉडल के रूप में काम करेगी।

 

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