ओडिशा में गन्ना किसानों का गुस्सा चुनाव में दिखने की संभावना

केंद्रपाड़ा : चीनी और जूट मिलों की स्थापना में कथित उपेक्षा और उदासीन दृष्टिकोण को लेकर सत्तारूढ़ बीजद से किसानों का मोहभंग आगामी चुनावों में दिख सकता है।तटीय जिले में गन्ना और जूट की खेती के क्षेत्रों में गिरावट देखी जा रही है। कृषक सभा की जिला इकाई के अध्यक्ष उमेश चंद्र सिंह ने कहा कि, पिछले चुनावों के दौरान मुख्यमंत्री और अन्य नेताओं द्वारा चीनी मिल स्थापित करने के वादे के बावजूद, वे चुनाव के बाद अपनी प्रतिबद्धताओं को पूरा करने में विफल रहे। नतीजतन, कई गन्ना किसानों ने बीजद के प्रति अपना असंतोष व्यक्त किया। उन्होंने कहा, कई गन्ना किसान इस चुनाव में सत्तारूढ़ बीजद को सबक सिखाने के लिए दृढ़ है। केंद्रपाड़ा जिले में, गन्ने और जूट की खेती मुख्य रूप से पटकुरा, राजनगर, महाकालपाड़ा, औल और केंद्रपाड़ा विधानसभा क्षेत्रों में की जाती है, जिसमें लगभग 80,000 किसान जुड़े हैं।

खाद्य आपूर्ति और उपभोक्ता कल्याण मंत्री रणेंद्र प्रताप स्वैन ने 2019 में राज्य विधानसभा में जानकारी दी थी की, ओडिशा को सालाना 2.21 लाख टन चीनी की आवश्यकता होती है, लेकिन राज्य में आठ चीनी मिलों में से केवल दो ही चालू है। गन्ने की खेती में गिरावट का कारण अपर्याप्त विपणन और मिलों का बंद होना है, जिससे किसानों को आगामी चुनावों में बीजद उम्मीदवारों के लिए अपने समर्थन पर पुनर्विचार करना पड़ रहा है। दूसरी ओर, भाजपा की जिला इकाई के अध्यक्ष किशोर पांडा ने गन्ना किसानों को राज्य में बीजेपी के सत्ता में आने पर चीनी मिल स्थापित करने का आश्वासन दिया।

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