केन्या में चीनी मिलों के बंद होने से स्थानीय व्यापारियों पर भी पड़ा गहरा असर

नैरोबी : गन्ने की कमी के चलते केन्या में चीनी मिलों में पेराई बंद करने के कृषि और खाद्य प्राधिकरण के फैसले से मिलों के साथ साथ व्यापारियों पर भारी असर पड़ा है। एएफए द्वारा चीनी मिलों की पेराई बंद करने का निर्देश चीनी निदेशालय के प्रभारी एएफए निदेशक जूड चेसिरे की अध्यक्षता में एक हितधारकों की बैठक के दौरान जारी किया गया था। चीनी मिलें बंद होने के बाद कर्मचारी घर लौट आए, जिससे मिल परिसर में स्थित व्यवसायों को भी बड़ा झटका लगा है।

बुसिया में ओलेपिटो चीनी मिल के पास काम करने वाले तंगाकोना के व्यापारियों ने कहा कि, वे चिंतित हैं कि जो युवा आजीविका के लिए मिलों में काम करते थे, वे अपने और अपने परिवार के लिए चोरी का सहारा ले सकते है। उन्होंने यह भी कहा कि, मिलों को बंद करने से स्थानीय व्यवसायों पर असर पड़ा है।जुलाई से शुरू होकर तीन महीने के लिए मिलों को बंद करने का एएफए का निर्णय चीनी मिलों को फिर से खोलने से पहले गन्ने की कमी की चुनौती से निपटने में सक्षम बनाना है।

तांगाकोना के स्टीफन ओराची ने कहा,चीनी मिलों के पास चलने वाली दुकानें, मछली विक्रेता और होटल मालिक बंद के परिणामस्वरूप लगातार घाटे में चल रहे है। उन्होंने कहा, अपर्याप्त आदान-प्रदान के कारण, हमें चिंता है कि दुकानों सहित हमारे बचे हुए व्यवसायों में भी सेंध लग सकती है।

लगातार कई वर्षों से मिलों की कम गतिविधि ने केन्या चीनी का आयातक बना है, जबकि 80 और 90 के दशक में केन्या ने चीनी का पर्याप्त उत्पादन किया था। आधिकारिक आंकड़ों से पता चलता है कि, आज देश में खपत होने वाली 52 प्रतिशत चीनी का आयात किया जाता है।सरकारी आंकड़ों से संकेत मिलता है कि, चीनी की घरेलू मांग वर्तमान में 490,704 मीट्रिक टन के स्थानीय उत्पादन के मुकाबले 1.01 मिलियन मीट्रिक टन है, जिससे 521,695 मीट्रिक टन की वार्षिक कमी रह गई है। केन्या की मिलिंग क्षमता 14.96 मिलियन मीट्रिक टन (प्रति दिन 41,000 टन) है।

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