नई दिल्ली : खाद्य और उपभोक्ता मामलों के राज्य मंत्री निमुबेन जयंतीभाई बंभानिया ने कहा कि, आंध्र प्रदेश में गन्ने की खेती की लागत प्रमुख चीनी उत्पादक राज्यों की तुलना में अधिक है, जिसका मुख्य कारण उच्च श्रम लागत है।लोकसभा में एक अतारांकित प्रश्न के उत्तर में, मंत्री निमुबेन जयंतीभाई बंभानिया ने कहा, ऊपरी इलाकों में विशेष रूप से उत्तरी तटीय जिलों और चित्तूर जिले में पानी की उपलब्धता सीमित है। प्रमुख चीनी उत्पादक राज्यों की तुलना में आंध्र प्रदेश में खेती की लागत अधिक है। आंध्र प्रदेश में अधिकांश चीनी मिलें तटीय क्षेत्र में स्थित हैं।अपर्याप्त गन्ना पेराई और जलवायु परिस्थितियों यानी दिन और रात के समय के बीच तापमान में कम दैनिक बदलाव के कारण चीनी की रिकवरी कम है।
उन्होंने कहा, राज्य में, कुल 29 चीनी मिलों में से, वर्तमान चीनी सीजन 2024-25 (अक्टूबर-सितंबर) के दौरान 5 चीनी मिलें चालू हैं। शेष 24 चीनी मिलें पर्याप्त गन्ना उपलब्ध न होने तथा अन्य वित्तीय समस्याओं के कारण पेराई कार्य शुरू नहीं कर सकीं।राज्य में कार्यरत 5 चीनी मिलों में से केवल 4 चीनी मिलें एथेनॉल का उत्पादन कर रही हैं। 2023-24 सत्र के दौरान एथेनॉल उत्पादन 3.43 करोड़ लीटर था तथा 2024-25 के दौरान अनुमानित एथेनॉल उत्पादन 4.58 करोड़ लीटर है।उन्होंने आगे कहा, आम तौर पर आंध्र प्रदेश राज्य की चीनी मिलें अपने गन्ना उत्पादकों को उनकी वित्तीय स्थिति के आधार पर सब्सिडी/मुफ्त/ब्याज मुक्त आधार पर बीज, उर्वरक, कीटनाशक, कटाई, परिवहन तथा ड्रिप सिंचाई के लिए सहायता प्रदान कर रही हैं। राज्य सरकार जब भी आवश्यक हो सहकारी चीनी मिलों को वित्तीय सहायता प्रदान कर रही है।