महाराष्ट्र से लेकर उत्तर प्रदेश तक इस चुनाव में गूंज रहा चीनी मिल और गन्ना बकाया का मुद्दा

निज़ामाबाद : उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, उत्तराखंड, कर्नाटक और अन्य गन्ना उत्पादक राज्यों में लोकसभा चुनाव में गन्ना बकाया भुगतान और चीनी मिलों का पुनरुत्थान का मुद्दा गरमाया है। सभी राजनितिक दल चीनी उद्योग से जुड़े लाखो मतदाताओं को लुभाने की कोशिशों में जुटे है। कई राजनितिक दल किसानों की दुर्दशा के लिए विपक्षी दलों को जिम्मेदार ठहरा रहे है, तो कई जगह विपक्षी दल सत्ताधारी पार्टियों को कटघरे में खड़ा करने की कोशिश कर रहे है।

तेलंगाना में भी चीनी मिलों को पुनर्जीवित करने का मुद्दा काफी चर्चा में है। भाजपा उम्मीदवार धर्मपुरी अरविंद ने शुक्रवार को निज़ामाबाद, जगतियाल और मेडक जिलों में बंद चीनी मिलों के पुनरुद्धार के लिए 43 करोड़ रुपये जारी करने के राज्य सरकार के फैसले को मुख्यमंत्री ए रेवंत रेड्डी द्वारा “एक चुनावी स्टंट” बताया।

महाराष्ट्र में भी राजनैतिक पार्टिया एक दूसरे को चीनी मिल और गन्ना बकाया के मुद्दे को लेकर निशाना साध रही है। उत्तर प्रदेश, बिहार, कर्नाटक में भी समान स्थिति है।

देश में गन्ना और चीनी उद्योग राजनीतिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि गन्ना किसान एक महत्वपूर्ण वोट बैंक माने जाते हैं और किसी भी राजनीतिक दल की जीत या हार में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।

कांग्रेस उत्तर प्रदेश में राज्य सरकार पर गन्ना बकाया और गन्ना मूल्य को लेकर लगातार निशाना साध रही है।

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