उत्तर प्रदेश सरकार और चीनी मिलों में टकराव की सम्भावना : सर्वसम्मति से बैठकों का बहिष्कार करने का फैसला 

लखनऊ : चीनी मंडी 
उत्तर प्रदेश के चीनी आयुक्त ने आने वाले क्रशिंग सीजन में मिलों के लिए गन्ना क्षेत्र को आरक्षित करने के लिए बैठकों की तिथियां तय की हैं। लेकिन उत्तर प्रदेश चीनी मिलर्स एसोसिएशन ने खत के जरिये बैठक में भाग लेने में असमर्थता व्यक्त की  है। गन्ना बकाया राशी के मुद्दे पर सरकार और चीनी मिओन में टकराव होने की सम्भावना जताई जा रही है। 31 अगस्त तक गन्ना बकाया 10,000 करोड़ रुपये से अधिक था। निर्यात और चीनी की कीमतों में लगातार गिरावट के चलते अगले साल बकाया और बढने की आशंका चीनी मिलों द्वारा जताई जा रही है । इस मुद्दे पर सरकार का ध्यान खीचनें के लिए एसोसिएशनने ये कदम उठाया है ।
सितंबर 11-22 तारीख को है मीटिंग
इस मुद्दे पर उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ सरकार और चीनी मिलर्स अक्टूबर से शुरू होने वाले आने वाले चीनी मौसम में एक-दुसरे पर तलवार तान कर खड़े रहने की कोशिशों में हैं। उत्तर प्रदेश चीनी और गन्ना कमिश्नर  संजय भुसोरेड्डी ने आगामी क्रशिंग सीजन 2018-19 में चीनी मिलों के लिए गन्ना क्षेत्र को आरक्षित करने के लिए सितंबर 11-22 तारीख मीटिंग के लिए तय की है – जिसमें सभी चीनी मिल प्रतिनिधि उनके विचार प्रस्तुत करने की उम्मीद है, लेकिन उत्तर प्रदेश चीनी मिलर्स एसोसिएशन ने  बैठक में भाग लेने में असमर्थता  जताई है।
गन्ने का बकाया भुगतान अहम मुद्दा
चीनी मिलर्स जिन्होंने सर्वसम्मति से बैठकों का बहिष्कार करने का फैसला किया है, उनका कहना है की,  राज्य सरकार से अगले सीजन में क्रशिंग ऑपरेशन करने में सक्षम होने के लिए पर्याप्त वित्तीय सहायता प्रदान करने का अनुरोध कर रहे हैं।  उन्होंने चीनी सीजन 2018-19 से संबंधित गतिविधियों में भाग लेने में असमर्थता व्यक्त की है । खत में  मिलर्स ने 2017-18 के लिए गन्ना मूल्य बकाया को दूर करने के लिए वित्तीय सहायता के अलावा राज्य सरकार से राजस्व के आधार पर तार्किक और आर्थिक रूप से टिकाऊ गन्ना मूल्य निर्धारित करने का आग्रह किया है। यही नही २०१७-२०१८ का गन्ना भुगतान  मिलों की आर्थिक क्षमता से भी काफी अधिक है।
राज्य सरकार द्वारा 5,535 करोड़ रुपये आवंटित
राज्य सरकार ने पिछले हफ्ते अपने पूरक बजट में बकाया गन्ना मूल्य के भुगतान के लिए 5,535 करोड़ रुपये आवंटित किए थे। इस आवंटित बजट में से, बकाया गन्ना मूल्य भुगतान के लिए निजी चीनी मिलों को 4,000 करोड़ रुपये का सॉफ्ट लोन दिया जाना है। चीनी मिलों को बकाया गन्ना मूल्य भुगतान की राशि के बराबर ऋण दिया जाएगा, जिसे सीधे गन्ना किसानों के खातों में उनके शेष बकाया मूल्य का  भुगतान किया जाएगा।
31 अगस्त तक गन्ना बकाया 10,000 करोड़ 
मिलों को उनके द्वारा खरीदे गए गन्ने को  4.50 रुपये प्रति क्विंटल  के तहत वित्तीय सहायता के रूप में 500 करोड़ रूपए आवंटित किए गए हैं।  हालांकि, चीनी उद्योग को लगता है कि यह राशि पर्याप्त नही है और यह चीनी उद्योग को उनकी देनदारिया चुकाने के लिए या अगला गन्ना सीजन लेने  में मदद नहीं करेगी, क्योंकि चीनी उत्पादन इस वर्ष के उत्पादन में 12 मिलियन टन से अधिक होने की संभावना है। 31 अगस्त तक, गन्ना बकाया 10,000 करोड़ रुपये से अधिक था।
इस साल फिर रिकॉर्ड गन्ना और चीनी उत्पादन से चीनी मिलें संकट के खाई में गिरने की सम्भावना है और चीनी मिलों को इस संकट से बचाने के लिए अब सरकार को ही कुछ ठोस कदम उठाने की जरूरत है । सरकार को  चीनी उद्योग के संकट का अंदाजा हो और कुछ ठोस कदम उठाये इसलिए  उत्तर प्रदेश चीनी मिलर्स एसोसिएशन ने खत के जरिये बैठक में भाग लेने में असमर्थता जताकर सरकार का ध्यान अपनी ओर खींचने की कोशिश की  है।
SOURCEChiniMandi

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here